अहम भूमिका निभाई थी राजा रमन्ना ने

(जन्मदिवस 28 जनवरी पर विशेष)

Webdunia
बुधवार, 28 जनवरी 2009 (11:51 IST)
देश के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों में से एक राजा रमन्ना बहुमुखी प्रतिभा के धनी व कुशल प्रशासक थे, जिन्होंने देशप्रेम को वरीयता देते हुए विदेशों में काम करने को अहमियत नहीं दी।

रमन्ना महान देशभक्त थे और पढ़ाई पूरी करने के बाद उस दौर में अमेरिका सहित विभिन्न विकसित देशों में आसानी से बस सकते थे। लेकिन होमी जहाँगीर भाभा के आह्‍वान पर उन्होंने देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधार को मजबूती देने का फैसला किया। विकसित देशों में रहने का आकर्षण उन्हें नहीं खींच पाया।

सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत में भरोसा रखने वाले रमन्ना ने देश में कुशल वैज्ञानिक तैयार करने की दिशा में काम किया और काफी सफल रहे।

राजा रमन्ना ने परमाणु भौतिकी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक दोनों पहलू शामिल हैं। भाभा और विक्रम साराभाई जैसे पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों से प्रेरित रमन्ना ने उनका अनुसरण किया और देश के स्वदेशी परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा की।

मई 1974 में देश के पहले शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण में राजा रमन्ना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सफलता के बारे में राजा रमन्ना ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि पोखरण परीक्षण देश के परमाणु इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है और यह भारत की तकनीकी प्रगति को साबित करता है, जिसके लिए हम आजादी के बाद से ही प्रयास कर रहे थे।

राजा रमन्ना वैज्ञानिक के अलावा संस्कृत के अच्छे विद्वान थे। साथ ही वह संगीत के अच्छे जानकार और कुशल संगीतज्ञ भी थे। उन्होंने संगीत पर एक पुस्तक 'दि स्ट्रक्चर ऑफ म्यूजिक इन रागा एंड वेस्टर्न म्यूजिक' भी लिखी थी। उनकी दिलचस्पी दर्शन और योग में थी, जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी आत्मकथा में किया है।

राजा रमन्ना ने विभिन्न पदों पर रहते हुए साबित किया कि वह कुशल प्रशासक और सफल नेतृत्वकर्ता भी हैं। वह अन्य पदों के अलावा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रहे। साथ ही वह राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किए गए और केंद्र में रक्षा राज्यमंत्री के पद को भी सुशोभित किया।

कर्नाटक के टुमकुर में 28 जनवरी 1925 को पैदा हुए राजा रमन्ना की शुरुआती शिक्षा, मैसूर, बेंगलुरु आदि स्थानों पर हुई। बाद में वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में पीचएडी की उपाधि हासिल की। छात्र जीवन में भी उनकी भेंट भाभा से हुई थी और उनके आह्‍वान पर रमन्ना ने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया।

तत्कालीन मैसूर महाराज बालक रमन्ना की संगीत प्रतिभा से काफी प्रभावित थे। इसके लिए उन्होंने रमन्ना को प्रेरित भी किया और समय-समय पर उनका विशेष ख्याल रखा। राजा रमन्ना ने अपनी आत्मकथा ईयर्स ऑफ पिलग्रिमेज एन ऑटोबायोग्रॉफी में इसका विस्तार से जिक्र किया है।

पद्म पुरस्कारों सहित कई सम्मानों से नवाजे गए राजा रमन्ना ने न्यूट्रॉन न्यूक्लियर फीजिक्स के कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान किया। देश के पहले रिसर्च रिएक्टर अप्सरा की स्थापना से भी वह जुड़े रहे। उस समय वह भाभा की टीम में युवा वैज्ञानिक थे।

राजा रमन्ना ने हर स्तर पर सृजनात्मकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को विशेष तौर पर चुनौतियाँ स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने निर्देशन में वैज्ञानिकों एवं तकनीकीविदों की एक पीढ़ी तैयार की जो परमाणु एवं अन्य क्षेत्रों में देश की प्रगति के लिहाज से सक्षम साबित हुए। इस प्रक्रिया में वह कई प्रतिष्ठित संस्थाओं की स्थापना से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े रहे।

रमन्ना का 24 सितंबर 2004 को निधन हो गया। वह हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन नई पीढ़ी के वैज्ञानिक उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं और देश की प्रगति में जुटे हैं।

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