आतंकियों ने बदली आजमगढ़ की पहचान

Webdunia
रविवार, 21 सितम्बर 2008 (21:28 IST)
कभ ी इस्लामी शिक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध और राहुल सांस्कृत्यायन तथा कैफी आजमी जैसे नामचीन साहित्यकारों के नाम से जाना जाता रहा आजमगढ़ आज सिमी के खतरनाक आतंकवादी अबु बशर और दिल्ली विस्फोटों में शामिल साजिद व आतिफ के कारण बदनाम हो गया है।

आजमगढ़ की मिट्टी में क्रांति है, स्वाभिमान है और जुनून भी है, लेकिन आज यह राष्ट्रवाद के लिए न होकर आतंकवाद के लिए हो गया है। यह कहना है इसी मिट्टी पर जन्मे इतिहासकार प्रोफेसर परमानंद सिंह का।

आजादी की 1857 में लड़ी गई पहली लड़ाई हो या गाँधीजी का सत्य और अहिंसा आंदोलन। आजमगढ़ की सरजमीं से वीर कुँवरसिंह, बाबू उमरावसिंह, विश्राम राय, शिवराम राय और बाबू तेज बहादुरसिंह सरीखे योद्धाओं और प्रोफेसर अल्लामा शिबली नोमानी जैसे शिक्षाविदों ने तिरंगा हाथों में थामा और इसे ऊँचा रखने के लिए जान की बाजी लगा दी ।

इसके विपरीत आज यहाँ भटक गई युवा पीढ़ी ने शायद द ा ऊद इब्राहिम अबू सलेम हाजी मस्तान और अब मुफ्ती अबू बशीर को अपना आदर्श बना लिया है, जिससे इस जिले को आतंकवादियों की जननी माना जाने लगा है।

प्रदेश के शीर्ष खुफिया सूत्रों पर विश्वास करें तो इस समय आजमगढ़ में सिमी के दर्जनभर शीर्ष सक्रिय आतंकवादी उनके राडार पर हैं, लेकिन पुख्ता सबूत के अभाव में अभी उनकी धरपकड़ संभव नहीं है।

दिल्ली में पुलिस सूत्रों ने बताया है कि राजधानी सहित देश के विभिन्न नगरों में पिछले दिनों हुए आतंकी विस्फोटों में शामिल 13 आतंकी अकेले आजमगढ से सम्बद्ध हैं।

पूर्व आईपीएस और आंतरिक सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ प्रकाशसिंह ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण, लेकिन कड़वी सचाई है कि पिछले लगभग दो दशक में आजमगढ़ की मिट्टी में पैदा हुए और यहाँ से जुड़े खूँखार माफिया और अपराधी यहाँ की दिशाहीन युवा पीढ़ी के आदर्श बन गए और इस फेहरिस्त में न सिर्फ दाऊद, मस्तान और अबू सलेम शामिल हैं, बल्कि खादीधारी उमाकांत व रमाकांत यादव जैसे लोग भी शुमार हैं।

उन्होंने कहा कि इन लोगों ने आजमगढ़ के सरायमीर, निजामाबाद, खैराबाद, मुबारकपुर, मोहम्मदाबाद, अतरौलिया और बिलरियागंज के अनगिनत युवाओं को मुंबई और दिल्ली समेत देश के अनेक भागों में आतंकवादियों माफिया गिरोहों तथा मादक द्रव्य तस्करों के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है।

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. परमानंदसिंह ने कहा आजमगढ़ में यह जबर्दस्त बदलाव पिछले लगभग पच्चीस वर्षों में यहाँ पहुँची माफिया एवं हवाला की काली कमाई के चलते हुआ है।

प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने बताया समूचे पूर्वी उत्तरप्रदेश में सिमी के लगभग दो दर्जन सक्रिय आतंकियों और कार्यकर्ताओं की पहचान कर ली गई है, लेकिन पुख्ता सबूतों के अभाव में उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। पुलिस और खुफिया अधिकारी उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रख रहे हैं।

उन्होंने बताया वे शुक्रवार को दिल्ली में मुठभेड़ में मारे गए दोनों आतंकवादियों साजिद और आतिफ तथा गिरफ्तार मोहम्मद सैफ के आजमगढ़ से जुड़े होने से वे आश्चर्यचकित नहीं हैं, क्योंकि न सिर्फ आजमगढ़ में बल्कि समस्त पूर्वी उत्तरप्रदेश में सिमी की सक्रियता पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है, जिसके चलते ऐसे परिणाम आना कोई बड़ी बात नहीं है।

आजमगढ़ की गलियों में जहाँ भी जाएँ, वहाँ सीधे तौर पर दो वर्ग हैं। एक अति धनाढ्य और दूसरा बिलकुल गरीब, जो दो जून की रोटी के लिए भी मोहताज है और ऐसी ही जमीन आतंकवाद के पैर पसारने के लिए आदर्श होती है।

सरायमीर और मोहम्मदाबाद की गलियों से गुजर जाएँ तो तीन से चार तल के भवन सँकरी गलियाँ, शीशों के महल, चमकती दूकानें और उन पर सजी तस्करी कर लाई गई विदेशी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ इंटरनेशनल कॉल की सुविधाओं वाले पीसीओ और विभिन्न बैंकों के एटीएम सहसा आप की आँखों को चौंधिया देंगे। आखिर यह बदलाव हुआ कैसे। खुफिया एजेंसियाँ मानती हैं कि यह सब हवाला और माफिया के काले धन का खेल है।

पुराने समाजवादी नेता प्रभु नारायणसिंह ने कहा मजे की बात यह है कि देखते-देखते आजमगढ़ राष्ट्रवाद से आतंकवाद की राह पर चला गया और इसकी ओर देश और राज्य की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा कट्टरवाद को पलने देने और उसे बढ़ावा देने से यहाँ अबू सलेम और अब अबू बशर, साजिद आतिफ और मोहम्मद सैफ जैसे सिमी और अन्य आतंकी संगठनों के आतंकी पैदा हुए। इसे रोकने की यहाँ की सरकारों में कोई इच्छा शक्ति ही नहीं दिखाई देती।

उन्होंने कहा आजमगढ़ कट्टरवाद का गढ़ बन गया है और उसे धार्मिक हवा देकर सिमी जैसे संगठन उसका दुरुपयोग कर रहे हैं।

दूसरी तरफ स्थानीय जूता व्यवसायी सलीम अहमद इस बात को लेकर परेशान हैं कि कुछ युवकों के सिमी और आतंकी संगठनों से जुड़ने पर पूरे मुस्लिम समुदाय को गलत नजरों से देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा मुस्लिम समुदाय स्वयं किसी भी प्रकार के आतंकवाद के सख्त खिलाफ है। वाराणसी क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक प्रवीणसिंह ने बताया आजमगढ़ के स्थानीय आतंकी संगठन एवं अपराधी अपने अंतरराष्ट्रीय आकाओं के नेटवर्क से जुड़ने की फिराक में हैं।

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