जेटली ने मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद पर 10 साल के कार्यकाल को अवसर गंवाने वाला समय करार दिया और कहा कि सिंह ने भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलता स्वीकार की, लेकिन कोई उपचार नहीं सुझाया। मुख्य विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने स्वयं को ‘इतिहास की ढाल’ और ‘समय के आवरण’ के पीछे छिपा लिया।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि लोकतंत्र में समय नहीं बताता है, मतदाता बताते हैं और अगर मतदाताओं के रुख पर ध्यान दें तब कांग्रेस के लिए बहुत बुरी खबर है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2009 के चुनाव परिणाम को कांग्रेस से भ्रष्टाचार के दाग हटाने के लिए उपयोग किया लेकिन 2013 में विधानसभा चुनावों के परिणामों पर इस तर्क का उपयोग नहीं किया। 2009 के चुनाव परिणाम और 2013 के विधानसभा चुनाव के परिणामों को मापने का प्रधानमंत्री का मापदंड अलग-अलग है।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसा तर्क दिया है कि चुनाव जीतने से भ्रष्टाचार के आरोप अपने आप में रद्द हो जाते हैं। प्रधानमंत्री का यह तर्क अपराधी भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो चुनाव जीत जाते हैं। वे कह सकते हैं कि अब वे चुनाव जीत गए हैं, इसलिए अपराधी नहीं रह गए।
यह पूछे जाने पर कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में लिखे पत्र पर प्रधानमंत्री ने यह कहा कि उन्हें इस पर अभी ध्यान देने का समय नहीं मिला, जेटली ने कहा कि वे समझते हैं कि उनका ध्यान का दायरा संकुचित हो गया है।
प्रधानमंत्री के रूप में सिंह के 5-5 वर्षों के दो कार्यकाल के बारे में जेटली ने कहा, इन 10 वर्षों को कार्यकालों में विभक्त करना ठीक नहीं है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए इतना समय एक युग की तरह होता है। इसमें आप समाज को एक दिशा दे सकते हैं। इस दृष्टि से यह अवसर गंवाने के समान है।
भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु करार को अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि बताने की प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तंज कसते हुए भाजपा नेता ने कहा, यह परमाणु समझौता उनके कार्यकाल का सबसे निम्न समय था जब इसी सौदे पर सांसदों को रिश्वत देने का मामला सामने आया था।
गौरतलब है कि अपनी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए मनमोहन सिंह ने आज कहा कि वे ईमानदारी से मानते हैं कि इतिहास उनके प्रति मौजूदा मीडिया के मुकाबले अधिक दयालु होगा।
कमजोर प्रधानमंत्री बताए जाने को लेकर आलोचनाओं का सामना करने वाले सिंह ने कहा कि हालात के अनुसार उनसे जो अच्छा हो सकता था, उन्होंने किया। अब यह तय करना इतिहास का काम है कि उन्होंने क्या किया या क्या नहीं किया? (भाषा)