लेकिन जगदेव सिंह के पड़ोसी कांस्टेबल सुरमदेव के परिवार को ऐसी कोई चिंता नहीं। सुरमदेव भी उसी आतंकी हमले में शहादत पा गया था जिस मुठभेड़ के दौरान जगदेव सिंह आतंकियों का मुकाबला करते हुए मारा गया था। दोनों में अंतर इतना था कि सुरमेदव नियमित पुलिसकर्मी था तो जगदेव सिंह एसपीओ अर्थात अर्द्ध पुलिसकर्मी।
दोनों की शहादत का मोल भी अलग-अलग था। सुरमदेव के परिवार को सरकार की ओर से राहत राशि के बतौर 5 लाख रुपयों की रकम थमाई गई थी तो जगदेव सिंह की विधवा पत्नी अपने पति के उन 4 महीनों के वेतन की आस में रोजाना पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर काटती रही, जो अभी भी बकाया हैं।
जानकर दंग रह जाना पड़ता है कि जगदेव सिंह को आतंकियों से मुकाबला करने के लिए मिलते थे प्रतिमाह 1500 रुपए और वह भी नियमित तौर पर नहीं। कभी-कभार 6 महीने का एकसाथ तो कभी 2 महीनों के उपरांत। अब यह वेतन बढ़कर 3000 रुपए प्रतिमाह हो गया है।
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