कुरूप और शहरयार को ज्ञानपीठ पुरस्कार

Webdunia
शुक्रवार, 24 सितम्बर 2010 (20:38 IST)
मलयालम के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार ओएनवी कुरूप को वर्ष 2007 के लिए 43वाँ और उर्दू के नामचीन शायर अखलाक खान शहरयार को वर्ष 2008 के लिए 44वाँ ज्ञानपीठ देने की शुक्रवार को यहाँ घोषणा की गई।

ज्ञानपीठ ने आज जारी विज्ञप्ति में बताया कि जाने-माने लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता डॉ. सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसमें चयन समिति के अन्य सदस्य प्रो. मैनेजर पांडे, डॉ. के. सच्चिदानंदन, प्रो. गोपीचंद नारंग, गुरदयालसिंह, केशुभाई देसाई, दिनेश मिश्रा और रवीन्द्र कालिया मौजूद थे।

वर्ष 2007 के लिए 43वें ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले ओएनवी कुरूप का जन्म 1931 में हुआ और वह समकालीन मलयालम कविता की आवाज बने। उन्होंने प्रगतिशील लेखक के तौर पर अपने साहित्य सफर की शुरुआत की और वक्त के साथ मानवतावादी विचारधारा को सुदृढ़ किया। मगर उन्होंने सामाजिक सोच और सरोकारों का दामन कभी नहीं छोड़ा।

कुरूप पर बाल्मीकि और कालीदास जैसे क्लासिक लेखकों और टैगोर जैसे आधुनिक लेखकों का गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी ‘उज्जयिनी’ और ‘स्वयंवरम’ जैसी लंबी कविताओं ने मलयालम कविता को समृद्ध किया। उनकी कविता में संगीतमयता के साथ मनोवैज्ञानिक गहराई भी है।

कुरूप के अब तक 20 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और उन्होंने गद्य लेखन भी किया है। कुरूप को केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, वयलार पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा गया है।

विज्ञप्ति में बताया गया कि वर्ष 2008 के लिए 44 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे गए शहरयार का जन्म 1936 में हुआ। बेहद जानकार और विद्वान शायर के तौर पर अपनी रचनाओं के जरिए वह स्व अनुभूतियों और खुद की कोशिश से आधुनिक वक्त की समस्याओं को समझने की कोशिश करते नजर आते हैं ।

शहरयार की शायरी में शायर वक्त की दो कड़वी सच्चाइयों जिंदगी और मौत के बीच वर्तमान में जिंदगी जीने की ख्वाहिश रखता है। उनकी शायरी में शायर गम और खुशी के क्षणों को महसूस करते हुए जिंदगी के असली चेहरे को देखने की कोशिश करता है।

इस वक्त की जदीद उर्दू शायरी को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले शहरयार को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, दिल्ली उर्दू पुरस्कार और फिराक सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया। (भाषा)

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