जबरदस्त बर्फबारी से कहीं मौजां, कहीं मुसीबत...

सुरेश एस डुग्गर

Webdunia
गुरुवार, 2 जनवरी 2014 (17:14 IST)
कश्मीर के हंडवाड़ा का फाजिली समय पर होने वाली बर्फबारी के लिए हाथ उठा कर खुदा का शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकता था। साथ ही वह यह भी दुआ कर रहा था कि अब और बर्फबारी न हो और न ही हिम सुनामी तथा एवलांच हो क्योंकि राज्यभर में जबरदस्त बर्फबारी से अगर कहीं मौजां और खुशी का माहौल था तो कहीं पर यह अब आफत और परेशानी का सबब भी बनने लगी थी।
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कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है। खुशी का कारण सफेद चाद्दर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।

अगले पन्ने पर... बर्फबारी से बढ़ी सैलानियों की भीड़...


बर्फबारी के नजारे लेने कश्मीर की ओर सैलानियों के बढ़ते कदमों के कारण ही पिछले साल आने वाले टूरिस्टों की संख्या ने 15 लाख के आंकड़े को पार कर लिया था और फाजिली के बकौल, अगर खुदा ने चाहा तो बर्फ से लदे पहाड़ों की गोद में बैठ बर्फ से खेलने में मस्त सैलानियों की भीड़ को देख उसे यह आस जगने लगी थी कि यह आंकड़ा इस बार 25 लाख को पार कर एक नया रिकार्ड बना डालेगा।
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राज्य में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर जमती बर्फ इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी। गर्मियों में पीने तथा कृषि के लिए पानी की कमी के साथ-साथ बिजली संकट से सामना नहीं होगा, जबरदस्त बर्फबारी ने इसे सुनिश्चित जरूर कर दिया है। दरअसल राज्य की सभी पनबिजली परियोजनाएं बर्फबारी पर ही इसलिए निर्भर हैं क्योंकि राज्य के दरियाओं में पानी बर्फ के पिघलने से ही आता है।

बर्फबारी क्यों है आफत और परेशानी का सबब...


पर यह बर्फबारी आफत और परेशानी का सबब भी बन चुकी थी। पिछले साल गुलमर्ग में हिमस्खलन के दौरान बीसियों सैनिकों की मौत की घटना के अतिरिक्त वर्ष 2005 तथा वर्ष 2008 में राज्य के कई हिस्सों में आए हिम सुनामी की याद से ही आम कश्मीरी सिंहर उठता है। हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।
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वैसे दुर्गम स्थानों में रहने वालों के लिए यह किसी सुनामी से कम नहीं है कि बर्फबारी के कारण उनकी जिन्दगी नर्क बन चुकी है क्योंकि राज्य के कई गांव पूरी दुनिया से कट चुके हैं। बीमारों के लिए कोई राहत नहीं है। खाने-पीने की वस्तुओं की कमी भी महसूस की जाने लगी है।

हालांकि इन सबके बीच सरकारी दावे जारी थे जबकि इन दावों की सच्चाई यह थी कि राज्य के विभिन्न राजमार्गों और लिंक मार्गों से बर्फ हटाने का कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया था जबकि भूस्खलन कई मार्गों में जान का खतरा पैदा किए हुए था।

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