Dharma Sangrah

दीवाली में मिठाई नहीं फल परोसें

Webdunia
शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010 (15:30 IST)
WD
यदि आप अपने सगे सम्बन्धियों को हृदय रोग से बचाना चाहते हैं तो दीपावली में मिठाई के बजाय उन्हें फल खिलाएँ क्योंकि फल की ही दिल से गहरी दोस्ती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि हृदय रोग का कारण सिर्फ आरामदेय जिन्दगी, अनियमित खान-पान और मेहनत से जी चुराना ही नही ं, बल्कि ज्यादा मिठाई भी हृदय रोग का कारण बन सकता है, इसलिए दीपावली समेत अन्य अवसरों पर यदि आप सोच रहे हैं कि कुछ मीठा हो जाय तो मिठाई के बजाय मीठे फल खाइये और खिलाइये।

विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक तेल या घी का प्रयोग भी इस रोग को आमंत्रित करता है। देश में तेजी से बढ रहे हृदय रोगियों की संख्या को देखते हुए हृदय रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि आप सामान्य से अधिक शारीरिक श्रम नहीं करते है तो खाने में दो चम्मच (दस ग्राम) से अधिक तेल का प्रयोग भी नहीं करें।

छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग के वरिष्ठ प्रोफेसर और हृदय रोग संस्थान कानपुर के पूर्व निदेशक डॉ. जेएल साहनी का दावा है कि विश्व के कुल हृदय रोगियों में से साठ प्रतिशत केवल भारत में है।

उनका कहना है कि देश में चार मीलियन से अधिक हृदय रोगी है। यदि खान-पान और दिनचर्या को नियंत्रित कर लिया जाय तो इसमें काफी कमी आ सकती है।

डॉ. साहनी ने कहा कि यह बीमारी सिर्फ अमीरों में होती है यह धारणा शत-प्रतिशत गलत है। यह अमीरों और गरीबो दोनों में सामान्यतौर पर होता है। मोटे लोगों में हृदय रोग होने के खतरा ज्यादा रहता है।

उन्होंने कहा कि हृदय के वाल्व सम्बन्धी बीमारी ज्यादातर गरीबो के बच्चों में होती है। इसका मूल कारण वह गर्भावस्था में माँ की अनियमित दिनचर्या और अपर्याप्त खान-पान को बताते हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल बच्चों में पिज्जा, बर्गर जैसे 'जंकफूड' खाने का चलन बढ़ा है। समोसा भी वे काफी चाव से खाते दिख जाते हैं। ये सभी भी इस रोग के आने का रास्ता बनाते हैं। इन खाद्य पदार्थो की वजह से हृदय पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।

उन्होंने कहा 'हार्ट' एक काम्पलेक्स मशीन है। इसमें जाने वाले व आने वाले रक्त के रास्ते में जरा भी अवरोध जानलेवा हो जाते हैं, इसलिए इसके रास्ते (धमनियों) को सामान्य बनाए रखने के लिए संयमित जीवन जरूरी ही है।

डॉ. साहनी ने कहा कि नियमित व्यायाम और सिगरेट बीड़ी से दूरी भी इस रोग को दूर रखता है। उनका कहना था कि शुद्ध रक्त के संचार में फेफड़ों की अहम भूमिका होती है। फेफड़ों को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए धुएँ से दूरी जरूरी है। (वार्ता)

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