नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कनिष्ठ सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी तहलका पत्रिका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल को सोमवार को नियमित जमानत प्रदान कर दी। न्यायालय ने तेजपाल को आगाह किया कि यदि उसने साक्ष्यों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया तो उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि अभियुक्त को जमानत से इंकार करने से उसकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी और यदि तेजपाल जेल की सलाखों में रहा तो यह उसके मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई में भी बाधक होगी।
न्यायालय ने तेजपाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कठोर शर्तें लगाई हैं। न्यायालय ने कहा कि तेजपाल की याचिका का निबटारा नहीं किया जा रहा है और इसे लंबित रखा जा रहा है ताकि किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर गोवा पुलिस जमानत का आदेश वापस लेने के लिए तत्काल शीर्ष अदालत आ सके।
न्यायालय ने गोवा में इस मुकदमे की सुनवाई कर रही अदालत से कहा कि इस प्रकरण की सुनवाई तेजी से पूरी की जाए और बेहतर होगा कि यह आज से आठ महीने के भीतर हो जाए।
शीर्ष अदालत गोवा पुलिस की इस दलील से सहमत नहीं थी कि गवाहों को प्रभावित करने और तेजपाल का पूर्व का आचरण उसे नियमित जमानत देने से इंकार करने का आधार होना चाहिए।
न्यायाधीशों ने गोवा पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एन किशन कौल के इस आग्रह से भी असहमति व्यक्त की कि पीड़ित लड़की और उसके चार मित्रों की अदालत में गवाही होने तक तेजपाल को जेल में ही रखा जाना चाहिए।
तेजपाल की जमानत का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि पीड़ित की मनोदशा पर हमला करने के सुनियोजित प्रयास हुए हैं और पहले की अनेक घटनाएं साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की आशंकाओं की ओर इशारा करते हैं।
गोवा सरकार ने 51 वर्षीय तेजपाल की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पीडित लड़की और उसके पुरुष मित्र को कुछ साइट्स से धमकी भरे ई-मेल मिल रहे हैं और ऐसा लगता है कि उन पर किसी प्रकार की निगरानी की जा रही है।
तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद से न्यायालय ने कहा कि वह अपने मुवक्किल को आगाह कर दें कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर वे समस्या में पड़ सकते हैं।
न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है लेकिन 152 गवाह होने के कारण इसमें तेजी से सुनवाई संभव नहीं है और मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में कम से कम तीन साल लग सकते हैं।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो जाने और आरोप पत्र दाखिल हो जाने के तथ्य के मद्देनजर तेजपाल को उस समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। (भाषा)