मध्यप्रदेश में जिस रोचक अंदाज में कांग्रेस ने भाजपा को मात दी उसी दिलचस्प तरीके से कमलनाथ की प्रदेश के मुखिया पद पर ताजपोशी का रास्ता भी साफ हुआ। जब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद का फैसला नहीं हो सका तो बात राहुल गांधी तक जा पहुंची और यहां से कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी। आइए, जानते हैं कमलनाथ के बारे में वह 10 बातें, जो बनाती हैं उन्हें बेहद खास...
कमलनाथ एक धैर्यशील नेता हैं। प्रशासनिक और प्रबंधन क्षमता के साथ ही विरोधियों को साधने की क्षमता ने उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनवा दिया।
कमलनाथ साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद का चुनाव जीते। वह 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं।
छिंदवाड़ा से कमलनाथ को 1996 में हार का भी सामना करना पड़ा था। उस समय उन्हें सुंदरलाल पटवा ने चुनाव मैदान में पटखनी दी थी।
1991 से 1995 तक वह नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे। इसके बाद वह कपड़ा मंत्री रहे। मनमोहन सरकार में वह वाणिज्य मंत्री चुने गए। इसके बाद उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला। साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कमलनाथ को राजीव गांधी और संजय गांधी के बाद अपना तीसरा बेटा मानती थीं। संजय गांधी से दोस्ती के कारण ही कमलनाथ राजनीति में आए थे।
1993 में भी कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी। बताया जाता है कि तब अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया। इस तरह कमलनाथ उस समय सीएम बनने से चूक गए थे। अब 25 साल बाद दिग्विजय के समर्थन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
आपातकाल के बाद 1979 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया था। तब इंदिरा संजय की सुरक्षा को लेकर चिंतित थीं। कहा जाता है कि तब कमलनाथ जानबूझकर एक जज से लड़ पड़े और जज ने उन्हें सात दिन के लिए तिहाड़ भेज दिया। वहां वे संजय गांधी के साथ ही रहे।
कमलनाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस का एक लोकप्रिय चेहरा हैं। उन्होंने ज्योतिरादित्य और दिग्विजय के साथ मिलकर शिवराज के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के सपने को तोड़ दिया।
जब वह सांसद थे तो छिंदवाड़ा से दिल्ली आने वाले लोगों के लिए उनका घर हमेशा खुला रहता था। दिल्ली से छिंदवाड़ा जाने वाली ट्रेन की रवानगी से पहले रेलवे स्टेशन पर अकसर वह लोगों से मिलते दिखाई देते थे।
वह एक उद्योगपति हैं। उनके पास 23 कंपनियां हैं, जो उनके बेटे चलाते हैं।