नई दिल्ली। कांग्रेस ने 2019 का लोकसभा चुनाव तथा आने वाले विधानसभाओं के चुनाव विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ व्यापक तालमेल कर लड़ने का फैसला किया है।
पार्टी की सर्वोच्च नीति संस्था कांग्रेस कार्यसमिति ने अपनी बैठक में आम चुनाव के साथ ही विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभाओं के चुनाव समान विचारधारा के राजनीतिक दलों के साथ मिलकर लड़ने और तालमेल करने का जिम्मा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ने का भी निर्णय लिया है।
कार्यसमिति की 5 घंटे चली बैठक के बाद पार्टी महासचिव अशोक गहलोत तथा संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कार्यसमिति ने मोदी सरकार को सत्ता से हटाने, लोकतंत्र को बचाने तथा पार्टी एवं देशहित में समान विचारधारा वाले दलों के साथ जो भी गठबंधन करेगी, उसके बारे में फैसला गांधी लेंगे और उनका निर्णय अंतिम माना जाएगा।
गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने संबंधी सवाल पर सुरजेवाला ने कहा कि स्वाभाविक रूप से पार्टी अपने नेता राहुल गांधी को आगे कर चुनाव मैदान में उतरेगी। कांग्रेस पूरे देश में है। उत्तर में जम्मू-कश्मीर से दक्षिण में केरल, पश्चिम से लेकर पूर्वोत्तर पार्टी का फैलाव है। चुनाव में कौन जीतेगा, यह फैसला जनता करेगी लेकिन हमें उम्मीद हे कि पार्टी 2019 में 2004 से अच्छा प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनेगी और 200 या उससे अधिक का जादुई आंकड़ा फिर हासिल करेगी तो स्वाभाविक रूप से कांग्रेस उन सबका नेतृत्व करेगी, जो गठन सरकार में शामिल होंगे।
सुरजेवाला ने कहा कि 2019 का चुनाव विधारधारा की लड़ाई है। कांग्रेस के समक्ष इस समय लोकतंत्र, देश में शांति, सद्भाव और सौहार्द को बहाल करने की चुनौती है और इसे देखते हुए पार्टी ने हर हाल में मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया है। गठबंधन किसके साथ और कैसे होगा, इसके लिए गांधी को पूरी तरह से अधिकृत किया गया है। बैठक में जनता के मुद्दों को जोर-शोर से उठाने और उनके लिए जन आंदोलन करने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि कार्यसमिति की विस्तारित बैठक करीब 5 घंटे चली जिसमें गत 17 जुलाई को पुनर्गठित कार्यसमिति के 23 सदस्यों, 18 स्थायी आमंत्रित तथा 10 विशेष आमंत्रित सदस्यों के अलावा सभी प्रदेशों के अध्यक्षों, मुख्यमंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, कांग्रेस सचिवों, कांग्रेस के विभिन्न संगठनों के प्रमुखों तथा विभागों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई तथा 35 नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि देश से नफरत और विभाजन की राजनीति की जा रही है और सत्ताधारी दल देश पर एक विचार को थोपने का काम कर रहा है। प्रधानमंत्री पद की गरिमा को धूमिल कर रहे हैं और वे हड़बड़ाहट में हैं। उनकी हड़बड़ाहट जता रही है कि मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर की और कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में जीडीपी की दर 7.4 प्रतिशत थी लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इस दर में गिरावट आई है जबकि जीडीपी दर को नापने का पैमाना भी बदला गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में विशेष रूप से 10 मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा हुई। इसमें देश में किसानों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई और कहा गया कि देश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं और प्रधानमंत्री तथा उनकी सरकार अव्यावहारिक रूप से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का जश्न मना रही है। बैठक ने इस ढोल की पोल खोलने की जरूरत पर बल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बैठक में देश में युवाओं की बेरोजगारी के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की गई है। रोजगार को लेकर मोदी सरकार के जुमलों को जनता तक ले जाने के बारे में भी चर्चा हुई। इसके अलावा महिलाओं, दलितों, आदिवासियों आदि के साथ दुर्व्यवहार करने के बारे में तथा अनुसूचित जाति तथा जनजाति कानून को कमजोर करने पर चर्चा हुई और इन मुद्दों के लिए संघर्ष करने का फैसला किया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई। लगातार खराब हो रही अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की गई और अर्थव्यवस्था के हालात को जनता के बीच ले जाने की जरूरत पर बल दिया गया।
उन्होंने कहा कि देश के पिछड़े वर्गों को लेकर सरकार की नाकामी, महिलाओं की सुरक्षा तथा महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ रहीं आपराधिक घटनाओं और उन्हें आरक्षण देने के मुद्दे पर बैठक में चर्चा हुई। देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का मामला भी बैठक में आया और कहा गया कि सरकार नक्सलवाद, आतंकवाद तथा घुसपैठ पर लगाम कसने में असफल रही है।
सुरजेवाला ने कहा कि विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में जिन 10 मुद्दों पर चर्चा की गई उनमें मोदी सरकार द्वारा संस्थाओं को पंगु बनाने की कोशिश की तीखी आलोचना की गई और इसके खिलाफ देश में आंदोलन करने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संस्थानों के स्वरूप को बिगाड़ रही है और उसे पंगु बना रही है तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के लोगों को इनमें बिठा रही है।
उन्होंने कहा कि बैठक में आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई है, इसके साथ ही जिन राज्यों में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनको लेकर भी बैठक में विचार-विमर्श किया गया। इन राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और मिजोरम शामिल हैं। बैठक में उत्तर-पूर्व और जम्मू-कश्मीर के हालात पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में पार्टी नेताओं को जनता के मुद्दों को जनता के बीच ले जाने और उनको लेकर जन आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही पार्टी की मजबूती तथा देश में शांति और सद्भाव बनाने के लिए अनुशासित रहने और मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने पर भी बल दिया गया। (वार्ता)