उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को आज यानी 29 सितंबर, 2021 को पांच वर्ष पूरे हो गए हैं। उस समय भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सीमा में घुसकर जिस तरह आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया था, उससे पूरी दुनिया में सनसनी फैल गई थी। पाकिस्तानी लोगों में आज भी उसका खौफ बरकरार है।
सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने से पहले 22 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेना प्रमुखों के बीच सर्जिकल स्ट्राइक, मिसाइल या हवाई हमले सहित कई विकल्पों पर विचार-विमर्श हुआ। 23 सितंबर को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अजीत डोभाल और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को सर्जिकल हमले की मंजूरी दे दी थी।
उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना के प्रवक्ता ने पहले ही बता दिया था कि इसका जवाब दिया जाएगा, लेकिन अपने समय और चुने गए स्थान पर। इसके बाद प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा। सेना और सरकार ने जो कहा, वही किया लेकिन इतनी सटीक और दुस्साहसपूर्ण कार्रवाई के पीछे की कहानी भी उतनी ही रोमांचक है। भारत के विशेष सैन्य दस्ते ने नियंत्रण रेखा पार कर आतंकवादियों के लांच पैड पर हमला किया और 6 से अधिक शिविर नष्ट कर लगभग 45 आतंकियों को मार गिराया था।
उस समय की रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 से लेकर 23 सितंबर तक पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर अपनी फौज को हाईअलर्ट पर रखा था। यहीं नहीं, उसने अपने सभी रडार और सीमा पर लगे मोशन सेंसर भी सक्रिय कर दिए थे। हवाई हमले की आशंका से घबराए पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमानों को भी अप्रत्याशित रूप से इस्लामाबाद, गिलगिट और नियंत्रण रेखा के समीप कई बार भेजा। तब तक पाकिस्तान नियंत्रण के कश्मीर स्थित आतंकी शिविरों को चिन्हित कर लिया गया। इसके अलावा रॉ भी पाकिस्तानी अफसरों और राजनेताओं के कार्यकलापों पर नजर रख रही थी।
भारतीय पक्ष ने जान-बूझकर अन्य विकल्पों जैसे कूटनीति और संयुक्त राष्ट्र महासभा में ज्यादा ध्यान देकर पाकिस्तान को एक तरह से आश्वस्त कर दिया था कि भारत की तरफ से पहले जैसी ही प्रतिक्रिया होगी। इसके मद्देनजर पाकिस्तान ने अपना ध्यान कूटनीति पर लगाया और विश्व मंच पर 'कश्मीर राग' अलापना शुरू कर दिया।
इसके बाद भारत में लेकर लंबी चर्चा चली। 26 सितंबर को हुई इस चर्चा में शामिल सभी लोगों ने अपने मोबाइल फोन इस्तेमाल करना बंद कर दिए। बेहद सुरक्षित लैंडलाइन पर मीटिंग की जगह तय होती और सरकारी कारों की बजाए सामान्य वाहनों का इस्तेमाल किया गया। इन बैठकों को दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर किया गया था और सेना के अधिकारी भी इसमें वर्दी के बजाए सादे कपड़ों में शामिल होते थे।
इस बीच भारतीय सेना प्रमुख दलबीर सिंह (अब सेवानिवृत्त) ने उत्तरी सेना कमान प्रमुख ले. जनरल डीएस हुडा को 1, 4 और 9 पैरा एसएफ से विशेष सैन्य दस्ते को कार्रवाई के लिए तैयार होने का आदेश दिया। 24 सितंबर को सैन्य दस्ता अपने अभियान के लिए तैयार होना शुरू हो गया। इस बीच राष्ट्रीय तकनीकी शोध संस्थान (एनटीआरओ) को भारतीय उपग्रहों को चिन्हित जगहों पर निगरानी रखने का आदेश दिया गया।
एनटीआरओ ने जीपीआरएस से आतंकी लांचिग पैड्स की सटीक स्थिति सेना को बताई, साथ ही अपनी डाइरेक्ट इमेजरी को सीधे दिल्ली के वॉर रूम से अपलिंक भी कर दिया। इसके सहारे ही भारतीय पक्ष ने सर्जिकल स्ट्राइक का सीधा प्रसारण देखा। सैनिकों के हेलमेट पर लगे हाई रिजोल्यूशन कैमरे सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट थे और पूरी कार्रवाई का सीधा प्रसारण दिल्ली में दिखाई दे रहा था।
इसके बाद विशेष सैन्य दस्ते हेलीकॉप्टर से नियंत्रण रेखा के एकदम समीप उतारे गए और वहां से उन्होंने नियंत्रण रेखा पार की। इस बीच भारतीय सेना ने मोर्टार और भारी मशीनगनों से कवर फायर कर नियंत्रण रेखा के उस पार तैनात पाकिस्तानी सैनिकों को हिलने का मौका भी नहीं दिया।
भारतीय पैरा कमांडो टेवर 15 ऑटोमैटिक राइफल, अंडरबैरल ग्रेनेड लांचर से युक्त एके-47 असॉल्ट राइफल, क्लोज कॉम्बेट ग्लॉक पिस्टल, कमांडो डैगर,हैवी डैमेज ग्रेनेड, स्टन ग्रेनेड्स और सी-4 से लैस थे। नाइटविजन कैमरे और थर्मल इमेजरी वाले हेलमेट कैमरे सीधे सैैटेलाइट से कनेक्ट थे।
बिजली-सी तेजी से सैनिकों ने आगे बढ़ते हुए लांचिंग पैड पर हमले किए। एकसाथ 6 लक्ष्यों पर सटीक कमांडो एक्शन की वजह थी कि आतंकी और पाक सैनिक कोई भी एक-दूसरे की मदद को न आ पाए। वॉच टॉवर पर तैनात संतरियों को भारतीय सेना के कमांडो निशानेबाजों ने वहीं ढेर कर दिया। इसके बाद लांचिंग पैड्स पर मौजूद आतंकियों पर एक साथ हमला कर 45 से अधिक आतंकियों और उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे 2 पाक सैनिकों को ढेर कर दिया। इन छहों स्थानों को राख के ढेर में बदलकर उड़ी का बदला ले लिया गया।
इस पूरी कार्रवाई में सिर्फ एक भारतीय सैनिक लैंडमाइन पर पैर रखने से हुए धमाके में घायल हुआ था। शेष सभी सैनिक सकुशल भारतीय सीमा में लौट आए। उस रात को प्रधानमंत्री सहित इस मिशन से जुड़े सभी लोग जाग रहे थे। मिशन पूरा होते ही डीजीएमओ ने अजीत डोभाल को सूचित किया और डोभाल ने प्रधानमंत्री को बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक सफल रही।