नई दिल्ली। भारत एवं ईरान ने आपसी सहयोग के 9 समझौतों पर शनिवार को हस्ताक्षर किए और सूफीवाद की शांति एवं सहिष्णुता की साझी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आतंकवाद और कट्टरवाद फैलाने वाली ताकतों को रोकने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच शनिवार को यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में दोनों पक्षों ने ये प्रतिबद्धता व्यक्त की।
दोनों देशों ने जिन दस्तावेजों पर शनिवार को हस्ताक्षर किए उनमें दोहरे कराधान एवं राजस्व चोरी से बचने, प्रत्यर्पण संधि के क्रियान्वयन का दस्तावेज, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, डाक क्षेत्र में सहयोग तथा राजनयिक पासपोर्टधारकों को वीसा लेने से छूट के अलावा चाबहार परियोजना के शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के पट्टे को भारत को देने का करार शामिल है जिसमें भारत को 18 माह तक इस बंदरगाह की संचालन का अधिकार दिया गया है।
बाद में मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि डॉ. रूहानी की यात्रा से भारत एवं ईरान के सभ्यता एवं संस्कृति के हजारों साल पुराने संबंधों की बुनियाद पर आधारित हमारे दोस्ताना रिश्तों में और मजबूती आई है।
उन्होंने कहा कि 2016 में उनकी तेहरान यात्रा के दौरान द्विपक्षीय सहयोग का एजेंडा एवं रोडमैप तैयार हुआ था और उसे आगे बढ़ाया जा रहा है। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और द्विपक्षीय ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने चाबहार बंदरगाह परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने में डॉ. रूहानी के नेतृत्व की सराहना करते कहा कि शांति एवं समृद्धि के हित में पड़ोसी मित्र अफगानिस्तान सहित समूचे क्षेत्र को आतंकवाद, उग्रवाद, मजहबी कट्टरवाद, तस्करी आदि अंतरराष्ट्रीय अपराधों को रोकने के लिए इन बुराइयों को फैलाने वाली ताकतों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डॉ. रूहानी की यात्रा इस दिशा में हमारे रणनीतिक सहयोग बढ़ावा देने वाली है। (वार्ता)