नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार के दिल्ली मॉडल पर आम आदमी पार्टी पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने पिछले 6 साल में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, अर्थव्यवस्था, महिलाओं और गरीबों के लिए जो काम किए हैं, उससे पूरे देश के लोग प्रभावित हैं और वे अपने प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी की सरकार चाहते हैं। जिन 6 राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां के लोग दिल्ली में भी रहते हैं और वे चाहते हैं कि उनके राज्य में भी मुफ्त बिजली व पानी, अच्छे स्कूल और अस्पताल हों।
मनीष सिसोदिया ने कहा, किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए साजिश के तहत दिल्ली में हरकतें कराई गईं और हिंसा के असली गुनाहगारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कि जा रही है। किसानों की मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं, आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार से तीनों किसान बिलों को वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि पार्टी के संविधान में कुछ संशोधन किया गया है। अब पार्टी की प्राथमिक यूनिट बूथ की बजाय जिला स्तर को माना जाएगा। चुने हुए सांसद और विधायक पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य माने जाएंगे और जिन राज्यों के वे सांसद व विधायक होंगे, वे वहां के स्टेट काउंसिल के सदस्य होंगे।
सिसोदिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सभी लोगों ने संकल्प लिया कि हम अगले 2 साल में जो 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें जोरशोर से शिरकत करेंगे। कोविड-19 महामारी का दिल्ली पर बहुत ज्यादा असर था, उसके बावजूद कहीं भी कोई दिक्कत नहीं आई। यदि दिल्ली के सरकारी स्कूल अच्छे हो सकते हैं तो पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और गोवा के सरकारी स्कूल क्यों नहीं हो सकते हैं।
ऐसी मांगें उन राज्यों से उठ रही थीं। ऐसे में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि पूरी पार्टी जोरशोर से पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल गुजरात और गोवा के विधानसभा चुनाव लड़ेगी। वहां पर उन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाएगा जिन्हें दिल्ली में केजरीवाल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। वहां के लोग भी केजरीवाल मॉडल को मौका देंगे। इस मॉडल को लोगों के बीच से रखा जाएगा।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इसके साथ-साथ पार्टी में आज किसान आंदोलन को लेकर भी चर्चा हुई। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों और अन्य नेताओं ने इस बात को रखा कि किस तरह से किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए साजिश के तहत यह हिंसा कराई गई। घटना के असली गुनहगार है उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आम आदमी पार्टी के संविधान में कुछ सुधार किया गया है। पिछले 9 साल के अनुभव के आधार पर यह देखने में आया है कि हमारे कुछ संविधान के नियम पार्टी के आगे बढ़ने में व्यावहारिक दिक्कत पैदा कर रहे थे। खासकर उन राज्यों में जहां पार्टी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। पार्टी के संविधान में जिक्र था कि पार्टी की जो प्राइमरी यूनिट बूथ स्तर पर होगी।
अब यह तय किया गया है कि पार्टी की प्राथमिक यूनिट जिला स्तर की यूनिट को माना जाएगा। इससे पार्टी को आगे बढ़ाने में हमें मदद मिलेगी। दूसरा पार्टी आगे बढ़ी है तो पार्टी के कई एमपी चुनाव जीतकर आए हैं। कई अलग राज्यों में जो एमपी और एमएलए चुनाव जीतकर आएंगे वह पार्टी के नेशनल काउंसिल के सदस्य होंगे। जिन राज्यों के एमपी एमएलए हैं वह वहां कि स्टेट काउंसिल के सदस्य भी बन जाएंगे। यह संविधान में एक बदलाव किया गया है, ताकि पार्टी के चुने हुए लोग हैं पार्टी में अहम भूमिका निभा सकें।
कुछ मामलों में देखा गया था कि किन्हीं भी कारणों से किसी के जाने, मृत्यु हो जाने या पार्टी में बदलाव होने से बीच में अगर जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कोई पद खाली होता है तो संविधान के मुताबिक उसको तब तक नहीं भरा जा सकता था जब तक अगले चुनाव न हों। ऐसे में अगले चुनाव की व्यवस्था तक वह पद खाली रहता है।
अब यह संविधान में संशोधन करके निर्णय लिया गया है कि नेशनल एक्जीक्यूटिव या राज्य के मसलों पर स्टेट एक्जीक्यूटिव अंतरिम रूप से उस पद पर किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकेगी, जब तक कि अगला चुनाव ना हो जाए। यह भी बदलाव किया गया है कि पार्टी के सदस्यों को इस बात की पूरी अनुमति होगी कि वह पार्टी के फोरम पर पार्टी, सदस्यों के व्यवहार के बारे में, पार्टी के नेतृत्व के बारे में कुछ भी अपने पॉइंट रख सकते हैं, लेकिन पब्लिक डोमेन में विचार रखने की मनाही होगी।
पार्टी से जुड़े विचार पब्लिक डोमेन की बजाय पार्टी के फोरम पर रखे जाएं, उन विचारों का पार्टी में स्वागत रहेगा। यह भी तय किया गया है कि नेशनल काउंसिल की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भी की जा सकती है, क्योंकि हम सबने अभी महामारी को देखा है और उस दौरान किसी भी तरह की बैठक कराने पर पाबंदियां थीं। व्यवहारिक रूप से असंभव थी।
इसलिए अगर कभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक कराने की जरूरत पड़ी तो जो नेशनल काउंसलिंग या स्टेट काउंसलिंग की बैठक मान्य मानी जाएगी। इसके अलावा पार्टी में ऐसे लोग भी जुड़ना चाह रहे हैं जो पहले से किसी पार्टी साथ में हैं,निर्दलीय रूप से चुनाव लड़े हैं, परिवार के और लोग लड़े हैं हमारी पार्टी के संविधान में था कि किसी भी परिवार से एक ही एक ही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। पार्टी के पहले से जो सदस्य हैं उन पर यह नियम लागू रहेगा, लेकिन पार्टी में कुछ लोग ऐसे जुड़ना चाहते हैं, जिनके परिवार के दो सदस्य भी चुनाव लड़ चुके हैं।
वह चाहते हैं कि पार्टी में आकर जुड़ें और पार्टी में सेवा दें। ऐसे लोगों को भी अब पार्टी अवसर दे रही है। अगर उनके परिवार का सदस्य चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं तो उनके लिए पार्टी का दरवाजा खोला गया है। पार्टी के मौजूदा सदस्य हैं उन पर पहले से जो व्यवस्था लागू है वो उन पर लागू रहेगी, लेकिन नए व्यक्ति जो कोई ज्वाइन करना चाहे, जिसके परिवार में कोई और भी व्यक्ति चुनाव लड़ चुका है तो उसका भी स्वागत करेंगे।