डीआरडीओ एवं एआईसीटीई ने शुरू किया रक्षा प्रौद्योगिकी में एम.टेक

Webdunia
शनिवार, 10 जुलाई 2021 (13:27 IST)
नई दिल्ली, बदलते समय के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक नवाचार समय की मांग हैं, जिसके लिए इस क्षेत्र के श्रम बल का कुशल तकनीकी प्रशिक्षण जरूरी है।

इस क्षेत्र के लिए आवश्यक सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक ज्ञान, कौशल तथा योग्यता प्रदान करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नियमित मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम. टेक) कार्यक्रम (course) शुरू किया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी. सतीश रेड्डी और एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने हाल में एआईसीटीई, नई दिल्ली द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान इस नये कोर्स का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम इच्छुक इंजीनियरों को रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर शुरू करने के लिए तैयार करेगा।

यह एम.टेक रक्षा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम, एआईसीटीई से संबद्ध संस्थानों/विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी या निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में आयोजित किया जा सकता है। इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस साइंटिस्ट्स ऐंड टेक्नोलॉजिस्ट्स (आईडीएसटी) इस कार्यक्रम के संचालन के लिए संस्थानों को सहायता प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम को ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन प्रारूपों में आयोजित किया जा सकता है।

इस कार्यक्रम में, कॉम्बैट टेक्नोलॉजी, एयरो टेक्नोलॉजी, नेवल टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन सिस्टम्स ऐंड सेंसर्स, डायरेक्टेड एनर्जी टेक्नोलॉजी और हाई एनर्जी मैटेरियल टेक्नोलॉजी जैसे विषय शामिल हैं। छात्रों को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं,  सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों और उद्योगों में अपने मुख्य थीसिस कार्य पूरा करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। यह कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार में अवसरों की माँग करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

रक्षा प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर कार्यक्रम शुरू करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एआईसीटीई और उद्योगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदान 'आत्मनिर्भर भारत' का दृष्टिकोण साकार करने में मदद मिलेगी। वहीं, डॉ जी. सतीश रेड्डी ने आशा व्यक्त की है कि इस कार्यक्रम से रक्षा क्षेत्र के लिए प्रतिभाशाली कार्यबल का एक बड़ा जत्था तैयार किया जा सकेगा।

उन्होंने उद्योग जगत से इस कार्यक्रम में सहभागी होने और छात्रों को अवसर प्रदान करने का आह्वान किया है।
प्रोफेसर अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि “इस कायक्रम से न केवल रक्षा प्रौद्योगिकी में कुशल जनशक्ति तैयार होगी, बल्कि नये रक्षा स्टार्टअप और उद्यमियों के मामले में अनापेक्षित लाभ भी मिल सकेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि शोध को दैनिक जीवन से जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह मानवीय मनोविज्ञान का मूल है।

भारत फोर्ज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्रीबाबासाहेब नीलकंठ कल्याणी ने डीआरडीओ और एआईसीटीई को इस कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए बधाई दी और रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा-निर्माण के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला और यह बताया कि यह कार्यक्रम किस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार कर पाएगा। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Changur Baba : छांगुर बाबा की पूरी कहानी, धर्मांतरण का रैकेट और करोड़ों की संपत्ति, STF और ATS के चौंकाने वाले खुलासे

भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना : अब खुद भर सकेंगे अपनी जानकारी

प्रियंका और माही की बीमारी के आगे क्‍यों लाचार हुए पूर्व CJI, क्‍या है उनका बंगला कनेक्‍शन

UP : अंबेडकरनगर सरकारी आवास से मिले 22.48 लाख रुपए के 100 और 500 के पुराने नोट, ACMO की 11 साल पहले हुई थी मौत, बेड और अटैची से मिलीं नोटों की गड्डियां

क्यों डरे हुए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, घर और बाहर दोनों जगह घिरे

सभी देखें

नवीनतम

पुलवामा हमले के लिए ई-कॉमर्स साइट से खरीदा गया था विस्फोटक, FATF की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Marathi Hindi Controversy : व्यापारियों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ मनसे की रैली, शिवसेना मंत्री को प्रदर्शनकारियों ने घेरा

विधवा महिला ने लगाया अपने देवर पर बलात्कार का आरोप, पुलिस ने शुरू की जांच

COVID-19: इंदौर में 48 घंटों के भीतर 3 महिलाओं की मौत, अब तक 187 मरीज मिले

प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए बड़ा कदम, 1 नवंबर से पुरानी गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल

अगला लेख