लेट होती हैं एयर इंडिया की आधी से ज्यादा उड़ानें

Webdunia
रविवार, 19 मार्च 2017 (18:41 IST)
नई दिल्ली। सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया की जिन उड़ानों में देरी होती है उनमें आधी से ज्यादा के पीछे उचित प्रबंधन का अभाव एक बड़ा कारण है। 
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसमें दिल्ली तथा मुंबई से जाने वाली उड़ानों के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान दिल्ली से देर से जाने वाली उड़ानों में 23 प्रतिशत की वजह पूरी तरह से तथा 30 प्रतिशत की वजह आंशिक रूप से एयरलाइंस के नियंत्रण में थी यानी देरी से बचा जा सकता था। इसी प्रकार मुंबई हवाई अड्डे पर इनका प्रतिशत क्रमश: 26 और 20 था।
 
वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों से देर से भरी गई उड़ानों में क्रमश: 57 और 46 प्रतिशत पूर्ण या आंशिक रूप से नियंत्रित की जा सकती थीं। यदि कोई विमान तय समय से 15 से ज्यादा की देरी से उड़ान भरता है तो उसकी एंट्री देरी से उड़ान भरने वाली सूची में होती है। 
 
उल्लेखनीय है कि 'ऑन टाइम परफॉर्मेंस' (ओटीपी) के मामले में एयर इंडिया का प्रदर्शन लंबे समय से खराब रहा है। नागर विमानन महानिदेशालय के हर महीने जारी होने वाले दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु तथा हैदराबाद हवाई अड्डों के आंकड़ों में वह अक्सर सबसे नीचे या नीचे से दूसरे स्थान पर रहती है। पिछले 3 महीने में 2 बार वह सबसे नीचे रही है जबकि इस साल जनवरी में खराब प्रदर्शन के मामले में वह दूसरे स्थान पर रही थी। 
 
इस बाबत पूछे जाने पर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा "जहां तक एयर इंडिया के ओटीपी का सवाल है हम उन आंकड़ों पर काफी करीबी नजर रखते हैं। हम इसकी रोजाना निगरानी करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एयर इंडिया ग्राहक का संतुष्टि स्तर यथासंभव अच्छे से अच्छा रहे।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली और मुंबई से देर से जाने वाली दो-तिहाई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी पूरी तरह या आंशिक रूप से कंपनी के नियंत्रण में थीं। वित्त वर्ष 2015-16 में दिल्ली से जाने वाली 32 फीसदी तथा मुंबई से जाने वाली 36 फीसदी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के देर होने की वजह पूरी तरह से कंपनी के नियंत्रण में थीं। इसके अलावा दिल्ली से जाने वाली 35 प्रतिशत तथा मुंबई से जाने वाली 30 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के देर होने की वजह आंशिक रूप से एयरलाइंस के नियंत्रण में थी।
 
कैग ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि ओटीपी का रिकॉर्ड सुधारने के लिए चालक दल के सदस्यों का समुचित उपयोग करना चाहिए तथा उनके संचालन के केंद्र के साथ उनकी उपलब्धता समायोजित की जानी चाहिए।
 
एयर इंडिया लिमिटेड को वित्त वर्ष 2012-13 में ही 85 प्रतिशत औसत ओटीपी का लक्ष्य हासिल करना था जिसे बढ़ाकर वित्त वर्ष 2013-14 में 90 प्रतिशत तक पहुंचाना था। यह लक्ष्य मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति तथा एयर इंडिया को कर्ज देने वाले बैंकों ने तय किया था। लेकिन, वित्त वर्ष 2011-12 में उसका ओटीपी 69 प्रतिशत 2012-13 में 77 प्रतिशत, 2013-14 में 78 प्रतिशत, 2014-15 में 72 प्रतिशत तथा 2015-16 में 78 प्रतिशत रहा था। (वार्ता)
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