अकबर महान नहीं हत्यारा था...

इतिहासकार ठाकुर रामसिंह शेखावत का दावा

वृजेन्द्रसिंह झाला
पाठ्य पुस्तकों में 80 फीसदी इतिहास गलत पढ़ाया जा रहा है। अब आवश्यकता है कि भारतीय इतिहास को नए सिरे से लिखा जाए। पुनर्लेखन के साथ ही उसमें सत्य तथ्यों का समावेश किया जाए। महान कहलाने वाला अकबर दरअसल एक हत्यारा था। 
 
यह कहना है इतिहासकार ठाकुर रामसिंह शेखावत का। वेबदुनिया से विशेष बातचीत में शेखावत ने कहा कि आजादी के बाद पाठ्यक्रम में इतिहास की गलत जानकारियां शामिल की गईं। विद्यार्थियों को करीब 80 फीसदी इतिहास गलत पढ़ाया जा रहा है। इतिहास में बदलाव का प्रमुख कारण शेखावत बताते हैं कि देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना आजाद को भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं था। उनके एवं उनके बाद बने मुस्लिम शिक्षामंत्रियों के इशारे पर योजनाबद्ध तरीके से इतिहास में काफी फेरबदल किया गया। 
 
अकबर महान नहीं हत्यारा : शेखावत अपनी पुस्तक ‘हत्यारा महान बन गया’ का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि अकबर में महानता का एक भी लक्षण नहीं था। अकबर ने हिन्दुओं का जितना निर्मम नरसंहार करवाया उतना किसी भी मुस्लिम शासक ने नहीं करवाया। ऐसे में उसे महान कैसे कहा जा सकता है। रामसिंह अंग्रेज इतिहास बिनसेंट स्मिथ का हवाला देते हुए अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हैं कि सारंगपुर विजय के बाद मुगल सिपहसालार आसफ खां ने अकबर को चिट्ठी लिखी थी कि मालवा और निमाड़ को हिन्दूविहीन कर दिया गया है। इस चिट्ठी का उल्लेख स्मिथ की पुस्तक में है।
 
शेखावत कहते हैं कि अकबर के लिए पहली बार महान शब्द का संबोधन एक पुर्तगाली पादरी ने किया था। अकबर इतना क्रूर था कि आत्मसमर्पण करने वाले लोगों को भी मौत के घाट उतार देता था, जो इस्लाम कबूल नहीं करते थे। 
 
वे कहते हैं कि टीवी और ‍फिल्मों में अकबर और जोधाबाई के प्रेम प्रसंग दिखाए जाते हैं, जबकि हकीकत में जोधा से अकबर की शादी ही नहीं हुई थी। उसका भाई यानी भारमल का बेटा भूपत उसका डोला अकबर के खेमे में छोड़ गया था। शेखावत कहते हैं कि अबुल फजल ने भी एक जगह उल्लेख किया है कि जोधा को एक बार ही आगरा के महल से बाहर निकलने दिया गया, जब उसका भाई भूपत अकबर को बचाते हुए मारा गया था। 
 
यह पूछने पर कि किसी पूर्वाग्रह के चलते तो यह पुस्तक नहीं लिखी? शेखावत ने कहा कि यदि ऐसा होता तो इस पुस्तक के कई संस्करण बाजार में आ चुके होते, लेकिन दुर्भाग्य से इस पुस्तक का दूसरा संस्करण भी नहीं छप पाया। मैं चाहता हूं कि इसका फिर से प्रकाशन हो, ताकि लोगों तक ‘अकबर महान’ की असलियत पहुंच सके और जो लोग इतिहास में रुचि रखते हैं वे शोध के लिए प्रेरित हों। 
 
हालांकि उन्होंने इस बात के लिए प्रसन्नता व्यक्त की कि वेबदुनिया उनकी पुस्तक को धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहा है। शेखावत सोमनाथ से अयोध्या, सावधान, पावन तीर्थ शबरीधाम, शबरी धाम का इतिहास, दिल्ली पर भगवा फहरा दो, ऐसी न देखी वीरांगना, नारी तुम निर्मल हो पावन हो, दिल्ली पर हिन्दू राज करेगा, राम, रामायण और रामसेतु कल्पना नहीं, रामसेतु को बचा लो, मल्हारराव होलकर आदि पुस्तकें भी लिख चुके हैं। 
 
जब उनसे पूछा गया कि अब तो दिल्ली में भगवा सरकार है, ऐसे में आपकी केन्द्र सरकार से क्या अपेक्षा है? वे कहते हैं कि सही इतिहास लोगों के सामने आना चाहिए। इस दिशा में सरकार के स्तर पर भी प्रयास होने चाहिए। इतिहास का पुनर्लेखन किए जाने की जरूरत है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी चारों तरफ से घिरे हुए हैं। उन पर चारों तरफ से प्रहार हो रहे हैं।
 
देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर ठाकुर रामसिंह कहते हैं कि असहिष्णुता का माहौल उन्हीं लोगों की देन है जो जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगाते हैं। वे कहते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को भी देश के खिलाफ नारेबाजी की अनुमति नहीं दी जा सकती। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे तत्वों का समर्थन कर रहे हैं।
शेखावत कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के समय मैंने मोदी और भाजपा के समर्थन में पर्चा छपवाया था, जिसकी शिकायत कांग्रेस ने ही चुनाव आयोग से की थी। तब उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी का खयाल नहीं आया। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था, जिससे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन हो।  
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