Who is Shantanu Naidu : देश के अनमोल रत्न रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में डूबा गया है। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर चर्चाएं उनके साथ रहने वाले शांतनु नायडू की भी हो रही है। शांतनु नायडू बाइक से रतन टाटा की अंतिम यात्रा में आगे-आगे चल रहे थे। शांतनु ने रतन टाटा को लेकर एक भावुक पोस्ट भी लिखा है। कौन हैं शांतनु नायडू (who is shantanu naidu) और कैसे हुई रतन टाटा से उनकी मुलाकात और कैसे बने टाटा के खास।
कैसे मिला सबसे करीबी दोस्त
पिछले 10 सालों में शांतनु नायडू, रतन टाटा के करीबी और भरोसेमंद दोस्त बन गए थे। मुंबई में रहने वाले 31 साल के शांतनु नायडू ने रतन टाटा को काफी प्रभावित किया था। शांतनु टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा सहायक और भरोसेमंद थे। 2014 में रतन टाटा से उनकी मुलाकात हुई। शांतनु ने टाटा एलेक्सी में अपने कार्यकाल के दौरान तेज गति से चलने वाले वाहनों के कारण कुत्तों की मौत के मुद्दे को उठाया।
नायडू ने रात के समय यातायात दुर्घटनाओं से आवारा कुत्तों की सुरक्षा के लिए चिंतनशील कॉलर बनाया था। रतन टाटा ने नायडू को अपनी टीम में शामिल किया। शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर भी थे। शांतनु नायडू रतन टाटा को स्टार्टअप में निवेश के लिए बिजनेस टिप्स देते थे।
नहीं था कोई पारिवारिक संबंध : रतन टाटा के जन्मदिन पर शांतनु नायडू का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में शांतनु नायडू रतन टाटा को केक खिलाते और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए दिख रहे थे। रतन टाटा और शांतनु का कोई पारिवारिक संबंध नहीं है।
पुणे में जन्म : शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे में हुआ था। वे भारतीय बिजनेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और इंटरप्रेन्योर हैं। शांतनु कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (Cornell University) से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की। पशु प्रेम और समाज सेवा का भाव मन में रखने वाले शांतनु ने “मोटोपॉज” नाम की संस्था बनाई, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है। नायडू के नेतृत्व में मोटोपॉज ने 17 शहरों में विस्तार किया और 8 महीनों में 250 कर्मचारियों को काम पर रखा है। 2021 में गुडफेलो नाम से एक वेंचर शुरू किया था। इसका उद्देश्य बुजुर्गों को सहायता प्रदान करना था।
क्या लिखा पोस्ट में : शांतनु नायडू ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में अपनी मित्रता के बारे में लिखते हुए कहा कि "इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा। प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस। उन्होंने एक पुरानी तस्वीर भी शेयर की जिसमें वे दोनों साथ में दिखाई दे रहे हैं। शांतनु ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम I came upon a lighthouse है। इस किताब में उन्होंने रतन टाटा की जिंदगी से जुड़ी कुछ पहलुओं का उल्लेख भी किया है। Edited by : Sudhir Sharma