बुरहान वानी की बरसी, अमरनाथ यात्रा को लेकर दुविधा

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर बुरहान वानी मरने के बाद भी राज्य सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। परसों उसकी पहली बरसी है। बरसी को मनाने की घोषणा अलगाववादियों द्वारा की जा चुकी है। इसके लिए हड़ताली कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है और सुरक्षाधिकारियों को इस दौरान कश्मीर में माहौल के हिंसामय होने की पूरी आशंका है और इस सबके बीच अमरनाथ यात्रा चिंता का कारण बनी हुई है। फिलहाल नागरिक प्रशासन इस दुविधा से जूझ रहा है कि क्या वह हड़ताली कैलेंडर के दिनों के लिए अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दे या फिर इसे जारी रखने का खतरा मोल ले।
 
8 जुलाई से 13 जुलाई तक कश्मीर में हड़ताली कैलेंडर के तहत विरोध प्रदशनों की तैयारी अगर अलगाववादी खेमे की ओर से की जा रही है तो उससे निपटने को पुलिस व नागरिक प्रशासन भी कमर कस चुका है। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अवकाश की सरकारी घोषणाएं हो चुकी हैं। सभी इंटरव्यू और परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं।
 
अगर किसी पर फैसला नहीं हो पाया है तो वह अमरनाथ यात्रा है। 28 जून को इसकी शुरुआत हुई थी और इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ यह निर्बाध रूप से जारी है, पर अब आशंका यह है कि 8 से 13 जुलाई के बीच इस पर खतरा भयानक तौर पर टूट सकता है। कारण स्पष्ट है। बुरहान की बरसी को लेकर जो भी प्रदर्शन और अन्य कार्यक्रम अलगाववादी नेताओं द्वारा घोषित किए गए हैं उन सभी का केंद्र अनंतनाग जिला है और यह भी याद रखने योग्य है कि अमरनाथ यात्रा भी अनंतनाग जिले से होकर गुजरती है और अनंतनाग जिल में ही यह संपन्न होती है।
 
पिछले साल जब 8 जुलाई को सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को ढेर कर दिया था तो अमरनाथ यात्रा ही पत्थरबाजों की सबसे अधिक शिकार हुई थी। हालांकि इस बार भी अमरनाथ यात्रियों पर पथराव की इक्का दुक्का घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन उन्हें बहुत हल्के तौर पर इसलिए लिया गया है क्योंकि सईद अली शाह गिलानी अमरनाथ यात्रियों को अपना मेहमान घोषित कर चुके हैं।
 
राज्य सरकार पर आई जिम्‍मेदारी :  हड़ताली कैलेंडर के दौरान पत्थरबाजों के तेवर कब बदल जाएं यह कहना मुश्किल है। ऐसे में प्रशासन कोई खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं है। नतीजतन उसने 8 जुलाई से 13 जुलाई तक अमरनाथ यात्रा के प्रति कोई भी फैसला लेने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर डाल दी है। 
 
बताया जाता है कि इसके लिए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से भी सलाह मशविरा किया जा रहा है क्योंकि राज्य के गृह मंत्रालय का भार भी उनके हाथों में है। वैसे अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर यही कहते हैं कि अमरनाथ यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोका जाना ही बेहतर होगा और कोई खतरा मोल नहीं लिया जाना चाहिए।
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