कश्मीर के हालात ने बिगाड़ी अमरनाथ यात्रा

सुरेश डुग्गर
श्रीनगर। यूं तो पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा अलगाववादियों के निशाने पर है, बावजूद इसमें शामिल होने वालों का आंकड़ा हमेशा नए रिकॉर्ड ही कायम करता आया है। लेकिन इस बार हालत यह है कि अभी तक के 33 दिनों की यात्रा में इसमें शामिल होने वालों का आंकड़ा 2.16 लाख को ही पार कर पाया है जबकि पिछले दो सालों का अगर रिकॉर्ड देखें तो यह संख्‍या यात्रा के पहले 15 दिनों में ही पार हो जाया करती थी।
अमरनाथ यात्रा खत्म होने को अब 15 दिनों का समय बचा हुआ है और किसी को कोई उम्मीद नहीं है कि इस बार यह कोई रिकॉर्ड बना पाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या अब 500-700 प्रतिदिन के बीच सिमटकर रह गई है।
 
ऐसा कश्मीर के बिगड़े हालात के कारण हुआ है। पिछले 27 दिनों से कश्मीर जल रहा है, हालांकि एक बात गौर करने वाली है कि वर्ष 2008 से ही कश्मीर में विभिन्न मुद्दों को लेकर गर्मियों के दिनों में हिंसा फैलती आई है और हर बार इसमें अमरनाथ यात्रा को लपेट लिया जाता रहा है, बावजूद इसके अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड द्वारा मुहैया करवाए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2011 में 6.35 लाख, 2012 में 6.21 लाख, 2013 में 3.54 लाख, 2014 में 3.73 लाख तथा 2015 में 3.52 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए थे।
 
इस बार यात्रा में कमी 25 दिन पहले ही उसी समय आनी आरंभ हो गई थी, जब बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर जल उठा तो लगाए गए कर्फ्यू ने कश्मीर को बेहाल कर दिया, लेकिन इसमें कोई नई बात नहीं थी। अक्सर पिछले 10 सालों से कश्मीर में जून, जुलाई और अगस्त महीनों के रिकॉर्ड पर नजरें दौड़ाएं तो हड़तालें और कर्फ्यू नए रिकॉर्ड बनाते आए हैं।
 
तो ऐसे में क्या इस बार किसी साजिश के तहत अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया गया? सवाल करने वाले इसके लिए पीडीपी सरकार को दोषी ठहराते हैं। याद रहे विपक्ष में होने पर पीडीपी भी अमरनाथ यात्रा की अवधि को कम करने के अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाती रही थी और इस बार उस पर आरोप लग रहा है कि उसने खुद ही सत्ता में रहते हुए वह काम करके अलगाववादियों को 'खुश' कर दिया, जो वे चाहते थे।
 
बताया जाता है कि अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की सुरक्षा न कर पाने पर राज्यपाल और अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के चेयरमैन एनएन वोहरा भी राज्य सरकार से अच्छे खासे नाराज हैं। सूत्रों के मुताबिक, यही कारण था कि राज्यपाल ने बाकायदा पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा को बुलाकर उन्हें अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा का विशेष प्रबंध करने की हिदायत दी थी।
 
अमरनाथ यात्रा से जुड़े लोगों की मानें तो इस बार अमरनाथ यात्रा को जो चुपचाप मौत दी गई है उसका सीधा नुकसान जम्मू के उन लोगों को हुआ है, जो हमेशा अमरनाथ यात्रा से कुछ कमाई की उम्मीद लगाए होते थे। ऐसा भी नहीं है कि कश्मीरियों को कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि आम कश्मीरी इसे मानता है कि कश्मीर के पर्यटन की रीढ़ अब अमरनाथ यात्रा बन चुकी है, जिसे अलगाववादियों ने तोड़कर रख दिया है।
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