अब तक 50 हजार ‍ने किए बाबा अमरनाथ के दर्शन

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। वार्षिक अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ने लगी है। सोमवार को भी जम्मू के बेस कैंप से 3 हजार से अधिक श्रद्धालु इसमें शामिल हुए, जबकि समाचार लिखे जाने तक 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में बनने वाले हिमलिंग के दर्शन कर लिए थे। इस बीच इस यात्रा की प्रतीक 'छड़ी मुबारक' की विशेष पूजा के कार्यक्रम को भी जारी कर दिया गया था।
 
पवित्र हिमलिंग के दर्शनों के लिए तीन हजार से अधिक तीर्थयात्रियों का पांचवां जत्था आज सुबह अमरनाथ गुफा रवाना हुआ। जत्थे में 2,310 पुरुष, 671 महिलाएं और 152 साधु-साध्वी शामिल हैं। ‘जय भोलेनाथ, बम-बम भोले' जैसे जयकारों के बीच जत्था 88 वाहनों में जम्मू से रवाना हुआ।  
 
एक आधिकारिक प्रवक्ता के मुताबिक, केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल के वाहनों से सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि आज के जत्थे को मिलाकर अब तक 15,360 तीर्थयात्री पवित्र अमरनाथ गुफा के लिए जम्मू से रवाना हो चुके हैं। यात्रा गत 28 जून से शुरू हुई थी। दक्षिणी कश्मीर में हिमालय क्षेत्र में 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में अब तक 50 हजार से अधिक तीर्थयात्री पवित्र हिम-शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं। 
 
घाटी में हिंसा और खतरे को देखते हुए चालीस दिन तक चलने वाली इस तीर्थयात्रा के मार्ग पर सुरक्षा के बहुस्तरीय इंतजाम किए गए हैं। इनमें उपग्रह निगरानी प्रणाली, जैमर, बुलेटप्रूफ बंकर, खोजी कुत्तों की तैनाती, सीसीटीवी और हजारों सुरक्षाकर्मियों के अलावा त्वरित प्रतिक्रया बलों की तैनाती जैसे इंतजाम शामिल हैं। वार्षिक तीर्थयात्रा आतंकी खतरे के बीच शुरू हुई जिससे अधिकारियों को उच्चतम स्तर के सुरक्षा कदम उठाने पड़े हैं।
 
अमरनाथ यात्रा के आरंभ के उपलक्ष्य में विशेष पूजा के लिए छड़ी मुबारक के नाम से मशहूर केसरिया वस्त्र में लिपटी भगवान शिव की पवित्र छड़ी नौ जुलाई को अपने मुख्य स्थान से पहलगाम लाई जाएगी। इसके संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि ने यहां बताया कि वार्षिक छड़ी मुबारक से बाबा अमरनाथ यात्रा के आरंभ के साथ पहलगाम में आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा के शुभ अवसर पर नौ जुलाई को भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की प्राचीन परंपरा एवं रस्म की जाएंगी। उन्होंने बताया कि रस्म अदाएगी के बाद छड़ी मुबारक उसी दिन वापस दशनामी अखाड़ा लाई जाएगी।
 
उन्होंने कहा, मार्ग में पड़ने वाले अनंतनाग जिले में मट्टन स्थित ऐतिहासिक मार्तंड मंदिर में भी पूजन होगा। गिरि ने बताया कि पवित्र छड़ी को सात अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन दर्शन के लिए 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा में भी ले जाया जाएगा।
 
यह दिन इस आधिकारिक तीर्थयात्रा का अंतिम दिन होता है। यात्रा में शरीक होने से पहले छड़ी मुबारक को शहर में विभिन्न मंदिरों में ले जाया जाएगा और 23 जुलाई से विशेष पूजा की जाएगी। 23 जुलाई को छड़ी मुबारक शंकराचार्य मंदिर ले जाई जाएगी और उसी दिन इसे इसके मूल स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा। 
 
इसके बाद अगले दिन इसे श्रीनगर स्थित हरिपर्वत में शारिका भवानी मंदिर ले जाया जाएगा। गिरि ने बताया कि छड़ी स्थापना और ध्वाजरोहण समारोह दशनामी अखाड़ा में 26 जुलाई को सम्पन्न होगा, जिसके बाद अगले दिन नागपंचमी को पारंपरिक छड़ी-पूजन किया जाएगा, जबकि इसे 7 अगस्त को गुफा में ले जाया जाएगा जिस दिन श्रावण पूर्णिमा होगी।
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