खुशी और गम भरी है इस बार की अमरनाथ यात्रा

सुरेश डुग्गर
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017 (17:40 IST)
श्रीनगर। इस बार की अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों के लिए खुशी वाली खबर भी है और गम की भी। खुशी इस बार बहुत बड़ा हिमलिंग बनने की होगी और यह इस बार अधिक देर तक टिका रहेगा, ऐसी संभावना प्रकट की जा रही है जबकि गम इस बात का रहेगा कि बर्फबारी की रफ्तार देखते हुए यात्रा मार्ग के जल्दी खुलने पर शंका है। यही नहीं, आतंकी तत्वों के साथ-साथ पत्थरबाजों से निपटना भी परेशानी का सबब होगा क्योंकि अलगाववादी यात्रा अवधि को कम करने की खातिर आंदोलन छेड़ने की बात अभी से कह रहे हैं।
शंका यही प्रकट की जा रही है कि इस साल अमरनाथ यात्रा में मौसम और आतंकवाद दोनों ही विलेन बनेंगे। एक तरफ चार साल के बाद कश्मीर में रिकॉर्ड बर्फबारी हुई है। दूसरी तरफ कश्मीर में आतंकी और उपद्रवियों से निपटना चुनौती होगा। यही नहीं, अगर बर्फबारी ऐसे ही रही, तो इस साल एक बार फिर यात्रा समय पर नहीं शुरू हो पाएगी। ऐसा चार साल पहले भी हो चुका है।
 
अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट पर रिकार्ड बर्फबारी हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बर्फबारी काफी ज्यादा हुई है। दोनों रूट पर अभी से 8 से 10 फुट तक बर्फ जम चुकी है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि पवित्र गुफा के पास भी 10 से 15 फुट के बीच बर्फ हो सकती है। 
 
गुरेज सेक्टर में ही 6 से 7 फुट तक बर्फ गिरी हुई है। 2013 में अधिक बर्फबारी होने की वजह से यात्रा समय पर शुरू नहीं हो पाई थी। हिमलिंग भी कुछ ही दिन में पिघल गया था। इसे देखते हुए अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने भी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रयास अभी से शुरू कर दिए हैं। यात्रा में यात्रियों के लिए खाने-पीने, रहने, दोनों मार्ग को साफ-सुथरा रखने, यात्रियों की सुरक्षा से संबंधी तमाम बंदोबस्तों के लिए अभी से प्रक्रिया शुरू कर दी है।
 
पिछले साल अमरनाथ जाने वाले लोगों पर भी जमकर उपद्रवियों ने पथराव किया था। इसमें कई वाहन टूट गए। इस साल ऐसी घटनाओं से यात्रा को बचाना भी एक बड़ी चुनौती होगी। पिछले साल 200 से ज्यादा अमरनाथ जाने वाले वाहनों को निशाना बनाया गया था। इसमें कई यात्री घायल भी हुए थे।
 
और खुशी की बात इस साल हिमलिंग के दर्शन के लिए आने वाले शिवभक्तों के लिए है। कश्मीर घाटी में भारी बर्फबारी के कारण अमरनाथ की गुफा में हिमलिंग का आकार बढ़ा बनने के पूरे आसार हैं। उम्मीद है कि हिमलिंग का आकार 20 फीट तक हो सकता है। ऐसा हुआ तो यात्रा के अंत तक बाबा अंतर्ध्यान नहीं होंगे।
 
अमरनाथ की 40 दिन की वार्षिक यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है और सात अगस्त को संपन्न होगी। कश्मीर घाटी में इस बार पिछले वर्षों के मुकाबले तीन गुणा अधिक बर्फबारी हुई है। जनवरी महीने में औसतन 49.6 एमएम बर्फबारी होती है, लेकिन इस बार 162.4 एमएम बर्फबारी हुई, वहीं जम्मू में जनवरी में औसतन 54.2 एमएम बारिश होती है, लेकिन इस बार 164.7 एमएम बारिश हुई है।
 
जम्मू कश्मीर मौसम विभाग के डायरेक्टर सोनम लोटस कहते हैं कि इस बार कश्मीर में जिस तरह से भारी बर्फबारी हुई है उससे पिघल रहे ग्लेशियरों को सहारा मिलेगा। ग्लेशियर मजबूत होंगे। हिमलिंग का आकार भी बढ़ा होगा। हालांकि कुछ हद तक यह मार्च व अप्रैल में होने कश्मीर घाटी के तापमान पर भी निर्भर करता है। कश्मीर घाटी में हुई भारी बर्फबारी के अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।
 
पिछले साल यात्रा के लिए आए श्रद्धालुओं को इसलिए मायूसी हाथ लगी थी, क्योंकि यात्रा शुरू होने के दस दिन बाद ही हिमलिंग का आकार काफी कम हो गया था और पहले पखवाड़े में ही हिमलिंग अंतर्ध्यान हो गए थे। वहीं वर्ष 2013 में रिकार्ड 22 फुट के बाबा बर्फानी के दर्शन पाकर श्रद्धालु धन्य हो गए थे। हर बार श्रद्धालुओं में इस बात को लेकर उत्साह रहता है कि बाबा का आकार कितना होगा।
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