अमित शाह के ‘साम्राज्य’ को बनाए रखना ही भाजपा के नए अध्यक्ष की होगी सबसे बड़ी चुनौती?

विकास सिंह
शनिवार, 1 जून 2019 (11:15 IST)
भोपाल। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अब मोदी सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री बनने के बाद सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? अमित शाह जो जुलाई 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे लगातार दो कार्यकाल से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहे हैं। अगर अमित शाह के बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकाल की बात करें तो उनकी गिनती पार्टी के सबसे सफल राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में होगी।
 
शाह के नेतृत्व में ही भाजपा ने पहले रिकॉर्ड संख्या में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के बाद तमाम कयास और अटकलों को झूठा बताते हुए लोकसभा में 300 का आंकड़ा भी पार कर लिया। अब जब शाह देश के गृहमंत्री बन चुके है तो पार्टी में उनका स्थान कौन लेगा इसको लेकर सियासी गालियारों में अटकलों का बाजार गरम है।
 
इस बारे भाजपा संगठन की राजनीति को बहुत से करीबी से देखने वाले और वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि शाह लगातार दो बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे और पार्टी संविधान के मुताबिक एक व्यक्ति दो बार से अधिक अध्यक्ष नहीं बन सकता है ऐसी स्थिति में उनको इस बार पद छोड़ना पड़ता।
 
ऐसी स्थिति में दो ही विकल्प थे कि या तो पार्टी अपने संविधान में संशोधन कर उनको फिर से अध्यक्ष बनाए या फिर मोदी कैबिनेट में मंत्री बना दें।
 
गिरिजाशंकर कहते हैं कि अमित शाह अब सरकार में एक तरह से डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की भूमिका में होंगे जैसे अटल सरकार के समय आडवाणी थे। वहीं पार्टी में अमित शाह की जगह कौन लेगा के सवाल पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि शाह का उत्तराधिकारी कौन होगा ये बहुत मुश्किल है, क्योंकि राजनीति में बड़े नेताओं के बाद ये सवाल हमेशा खड़ा होता आया है कि उनका उत्तराधिकारी कौन बनेगा, जैसे नेहरू के बाद हू ऑफ्टर नेहरू और इंदिरा गांधी बाद हू ऑफ्टर इंदिरा का सवाल खड़ा हुआ था। ऐसे ही इस समय भाजपा में सवाल खड़ा हुआ हैं कि हू ऑफ्टर अमित शाह और इस सवाल का जवाब केवल वक्त देगा।
 
गिरिजाशंकर कहते हैं कि ये तो तय है कि कोई न कोई शाह का उत्तराधिकारी बनेगा लेकिन उसमें कितना सफल होगा ये देखना होगा। वहीं नए अध्यक्ष की चुनौतियों के सवाल पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि अमित शाह ने अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का जो बड़ा स्ट्रक्चर खड़ा किया उसको बचाए रखना ही नए अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी उसको आगे बढ़ाना तो बात की बात होगी।
 
जेपी नड्डा हो सकते हैं शाह के उत्तराधिकारी – भाजपा अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे नाम जिसका है वो नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा का है। नड्डा को संगठन पर अच्छी पकड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विश्वस्त होने के चलते नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जेपी नड्डा अमित शाह की टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
 
वहीं जेपी नड्डा के अध्यक्ष बनने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि जिस प्रकार की मीडिया में चर्चा है और नड्डा को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया तो उसके बाद इसकी पूरी संभावना है कि उनको पार्टी का नया अध्यक्ष बनाए जाए, लेकिन वो आगे जोड़ते हैं कि सिर्फ अटकलें है अटकलें सहीं साबित हो ये कोई तय नहीं है।
 
गिरिजाशंकर कहते हैं कि इतना तो तय है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पंसद से ही नया अध्यक्ष होगा न कि संघ की पंसद का  इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजों ने अब ये तय कर दिया है कि  भाजपा में आने वाले फैसले मोदी और शाह की मर्जी से होंगे न कि संघ के दखल से। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि जो भी नया अध्यक्ष होगा वो यस मैन की भूमिका में नजर आए और पीछे से पूरा कंट्रोल अमित शाह का रहें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PAN 2.0 Project : अब बदल जाएगा आपका PAN कार्ड, QR कोड में होगी पूरी कुंडली

तेलंगाना सरकार ने ठुकराया अडाणी का 100 करोड़ का दान, जानिए क्या है पूरा मामला?

Indore : सावधान, सरकारी योजना, स्कीम और सब्सिडी के नाम पर खाली हो सकता है आपका खाता, इंदौर पुलिस की Cyber Advisory

क्‍या एकनाथ शिंदे छोड़ देंगे राजनीति, CM पर सस्पेंस के बीच शिवसेना UBT ने याद दिलाई प्रतिज्ञा

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

सभी देखें

नवीनतम

संभल में कैसे भड़की हिंसा, DM राजेंद्र पेंसिया ने बताई पूरी सचाई

LIVE: बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु गिरफ्तार

दुष्कर्म और कई राज्‍यों में की हत्‍या, 1 दर्जन से ज्‍यादा केस दर्ज, आरोपी गुजरात से गिरफ्तार

Pakistan : इमरान के समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर निकाला मार्च, पीटीआई के शीर्ष नेताओं ने जेल में की मुलाकात

Maharashtra का मुख्यमंत्री चुनने में महायुति को आखिर क्यों हो रही है इतनी देरी

अगला लेख