नई दिल्ली/पुणे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विशेषकर बलात्कार जैसे घृणतम अपराधों के संदर्भ में आपराधिक न्याय प्रणाली में देरी पर बहस के बीच IPC और CRPC को देश के और अनुकूल बनाने के लिए उन्हें संशोधित करने के अपने सरकार के दृढ़ निश्चय पर बल दिया है।
शाह का बयान ऐसे समय में आया है जब गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से भारतीय दंड संहिता (IPC) और अपराधी दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) में आमूल-चूल बदलाव के लिए सुझाव मांगा है ताकि यह आधुनिक लोकतंत्र की आकांक्षाओं को परिलक्षित करे और त्वरित इंसाफ प्रदान करे।
एक सरकारी बयान के अनुसार पुणे में पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों के 54 वें सम्मेलन में गृहमंत्री ने IPC और CRPC को आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था के और अनुकूल बनाने के लिए उनमें बदलाव लाने के अपनी सरकार के निश्चय को प्रमुखता से सामने रखा।
2012 के कुख्यात निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड समेत घृणतम अपराधों में अपराधियों को दंड मिलने में देरी को लेकर हाल ही में अलग अलग मंचों पर जबर्दस्त बहस चल रही है।
हालांकि रविवार को जोधपुर में एक कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े ने कहा कि इंसाफ कभी भी तत्क्षण नहीं हो सकता और ‘यदि यह बदला लेने का रूप ले लेगा तो अपना मूल स्वभाव गंवा बैठेगा।’’
पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने भी कहा था कि IPC और CRPC को बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों की जल्द सुनवाई के लिए संशोधित किया जाएगा।