Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

PM Modi Security Breach : पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ‘गंभीर चूक’, गृह मंत्रालय ने चन्नी सरकार से मांगी रिपोर्ट

Advertiesment
हमें फॉलो करें PM Modi Security Breach : पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ‘गंभीर चूक’, गृह मंत्रालय ने चन्नी सरकार से मांगी रिपोर्ट
, गुरुवार, 6 जनवरी 2022 (00:04 IST)
नई दिल्ली/चंडीगढ़। पंजाब के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बुधवार को उस वक्त ‘गंभीर चूक’ की घटना हुई जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने उस सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया जहां से उन्हें गुजरना था और इस कारण वे एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसे रहे। इसके चलते, प्रधानमंत्री के काफिले को वापस लौटना पड़ा। बाद में फिरोजपुर में उनकी एक प्रस्तावित रैली व विकास योजनाओं के शिलान्यास संबंधी कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ा। इस घटना पर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब सरकार से इस चूक के लिए एक रिपोर्ट मांगी है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई को कहा है।
 
विक्षिप्ता की कगार पर कांग्रेस : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब में आज प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध पर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। प्रधानमंत्री के दौरे में सुरक्षा प्रक्रिया में इस तरह की लापरवाही पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसके लिए जवाबदेही तय की जाएगी। इस घटना के मद्देनजर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए शाह ने कहा कि पंजाब में आज की ‘कांग्रेस-निर्मित’ घटना, एक ट्रेलर है कि यह पार्टी कैसे सोचती है और काम करती है। उन्होंने कहा कि जनता द्वारा लगातार खारिज किए जाने से वह (कांग्रेस) विक्षिप्तता की कगार पर पहुंच गई है। उन्होंने जो किया है, इसके लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। 
webdunia
गृह मंत्रालय का बयान : इससे पहले गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी बुधवार सुबह पंजाब के बठिंडा पहुंचे, जहां से वह हेलीकॉप्टर से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाने वाले थे। बारिश और खराब दृश्यता के कारण प्रधानमंत्री ने करीब 20 मिनट तक मौसम साफ होने का इंतजार किया।
 
बयान के मुताबिक कि जब मौसम में सुधार नहीं हुआ तो निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाएंगे, जिसमें दो घंटे से अधिक समय लगता। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा आवश्यक सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यक पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से यात्रा के लिए रवाना हुए।
 
बयान में कहा गया कि हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुंचा तो यह पाया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क को अवरुद्ध कर दिया है। प्रधानमंत्री 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहे। यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक थी। गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया कि सुरक्षा में गंभीर चूक के बाद, प्रधानमंत्री के काफिले ने स्मारक पर एक कार्यक्रम में शामिल हुए बिना लौटने का फैसला किया।
 
कठोर कार्रवाई के बारे में कहा : गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को इस चूक की जवाबदेही तय करने और कठोर कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गयी थी।
 
प्रक्रिया के अनुसार, उन्हें ‘लॉजिस्टिक्स’ व सुरक्षा के साथ-साथ आकस्मिक योजना को तैयार रखते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक व्यवस्था करनी होती है। आकस्मिक योजना को ध्यान में रखते हुए, पंजाब सरकार को सड़क मार्ग से किसी भी यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए थे, जिन्हें स्पष्ट रूप से तैनात नहीं किया गया था।
 
बयान के मुताबिक ‘‘इस सुरक्षा चूक के बाद, बठिंडा हवाई अड्डे पर वापस लौटने का निर्णय लिया गया। गृह मंत्रालय ने इस गंभीर सुरक्षा चूक का संज्ञान लेते हुए पंजाब सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 
 
मांडविया ने की घोषणा : प्रधानमंत्री के वापस लौटने के फैसले के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने फिरोजपुर की जनसभा में मोदी के ना पहुंच पाने और कार्यक्रम स्थगित किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री आप सभी से मिलना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश वह आज हम लोगों के बीच नहीं आ पा रहे हैं। प्रधानमंत्री की बहुत इच्छा थी आप सभी से मिलने की...उन्होंने कहा है कि कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया है बल्कि उसे स्थगित किया गया है।’’
 
नड्डा ने जताई नाराजगी : इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पंजाब की कांग्रेस नीत सरकार पर आरोप लगाया कि आगामी विधानसभा चुनाव में हार के डर से उसने प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों को विफल करने के लिए हरसंभव कोशिश की।
 
भाजपा प्रमुख ने कहा कि मामला तब और गंभीर हो जाता है जब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी टेलीफोन पर बात करने या मामले का समाधान करने को भी तैयार नहीं हुए। पंजाब की सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करने वाले सभी लोगों को व्यथित करने वाला है।’’
 
भाजपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस को लोगों को मोदी की रैली में शामिल होने से रोकने का निर्देश दिया गया था और प्रदर्शनकारियों के साथ मिलीभगत के कारण पुलिस की ढिलाई से बड़ी संख्या में वहां बसें फंसी हुई थीं। नड्डा ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के रास्ते में आने दिया गया जबकि राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने एसपीजी को आश्वासन दिया था कि रास्ता साफ है।
 
नड्डा ने कहा मतदाताओं के हाथों पराजय के भय से पंजाब की कांग्रेस सरकार ने राज्य में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को विफल करने के लिए हरसंभव हथकंडे अपनाए। ऐसा करने के दौरान उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि प्रधानमंत्री, भगत सिंह और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले थे और कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे। ऐसी गंदी राजनीति कर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने दिखा दिया है कि वह विकास विरोधी है और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति उसके मन में कोई सम्मान नहीं है। 

चन्नी ने कहा- सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई : पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री के राज्य के दौरे से बीच में ही दिल्ली लौटने पर खेद जताया, लेकिन साथ ही दावा किया कहा कि उनकी सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। चन्नी ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री को उद्घाटन के लिए जाना था और एक राजनीतिक रैली को संबोधित करना था। हमें खेद है कि रास्ता अवरुद्ध किए जाने के कारण उन्हें वापस जाना पड़ा। 
 
उन्होंने कहा कि आखिरकार, वे देश के प्रधानमंत्री हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था और संघीय व्यवस्था है। चन्नी ने दावा किया कि सुरक्षा में किसी तरह की कोई चूक नहीं हुई और न ही किसी हमले जैसी स्थिति थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अचानक बदलाव हुआ और भाजपा को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। पंजाब और दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में 2020 से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। पिछले महीने इन कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया था, जिसके बाद किसानों ने दिल्ली के आसपास की सड़कों पर से अपनी नाकेबंदी हटा ली थी।
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भोपाल में कोरोना के 169 नए मामले, एक्टिव केस बढ़कर 398 हुए