दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद क्या चुनावी समीकरण बदल रहे है ? क्या दिल्ली चुनाव में भाजपा ने शाहीन बाग का जो ट्रंप कार्ड चला था वह कामयाब हो रहा है ? भाजपा के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में बाजी पलट देंगे। ये कुछ ऐसे सवाल है कि अब सियासी गलियारों में पूछे जाने लगे है।
दिल्ली में चुनाव की तारीखों के एलान से पहले पूरा मुकाबला एकतरफा दिख रहा था, चुनावी रणनीतिकार साफ कह रहे थे कि दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल के नेतृत्व में एक बार फिर आम आदमी पार्टी एक तरफा जीत हासिल करेगी। तारीखों के एलान से पहले और बाद में आने वाले चुनावी सर्वे आप को 55 -60 फीसदी सीट दे रहे थे।
तारीखों के एलान के बाद शाहीन बाग को अपना मुख्य चुनावी हथियार बनाकर चुनावी मैदान में उतरने वाली भाजपा ने पूरा चुनाव देखते ही देखते ध्रुवीकरण की ओर मोड़ दिया है। गृहमंत्री अमित शाह अपने हर चुनावी रैली और रोड शो में शाहीन बाग के मुद्दें पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने में जुटे हुए है। इसके साथ पार्टी के नेता शाहीन बाग को लेकर लगातार बयानबाजी कर माहौल को गर्माने की कोशिश कर रहे है। शाहीन बाग को लेकर नेताओं के विवादित बयानबाजी का सिलसिला जैसे –जैसे चुनाव तरीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे बढ़ती जा रही है।
जैसे जैसे चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा गर्माता जा रहा है उतना फायदा भाजपा को चुनाव में होता जा रहा है। पार्टी के आंतरिक सर्वे के मुताबिक पार्टी को शाहीन बाग के मुद्दे का फायदा मिल रहा है और पार्टी 30 -35 सीटें जीत सकती है।
दिल्ली की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले चुनावी रणनीतिकार कहते हैं कि अब जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी पार्टी शाहीन बाग के मुद्दें पर और आक्रमक होगी। गृहमंत्री अमित शाह 2 फरवरी से दिल्ली में डोर –टू –डोर कैंपेन शुरु करने जा रहे है,वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के आखिरी चरण में ताबड़तोड़ चुनावी रैली कर शाहीन बाग के मुद्दें को जोर शोर से उठाकर आम आदमी पार्टी को घेरेंगे।