हैदराबाद। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा कि केन्द्र में लोकपाल की नियुक्ति में देरी को लेकर वह नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ अपने गांव में तीन जनवरी से अनशन शुरू करेंगे।
भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दावा किया कि सरकार इस मामले में बहाना बना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 को लागू करने को लेकर संवैधानिक संगठनों के निर्णयों पर ध्यान नहीं दे रही है और देश को ‘तानाशाही’ की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है।
हजारे ने कहा कि 2011 में पूरा देश राज्यों में लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति के लिए उठ खड़ा हुआ था जिसके बाद लोकपाल विधेयक पारित हुआ था।
उन्होंने कहा, 'दिसंबर 2013 में कानून बनाया गया और मोदी ने 2014 में सरकार का गठन किया। ऐसा लगा कि मोदी लोकपाल नियुक्त करेंगे और लोकपाल कानून को लागू करेंगे और देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाएगी।' उन्होंने कहा कि मोदी 2014 में सत्ता में आए। केवल इसे लागू करने की जरूरत थी लेकिन पांच साल बीत गए। कुछ या अन्य कारणों का हवाला देकर लोकपाल की नियुक्ति में देरी की गई।
हजारे ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 32 पत्र लिखे लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, 'ऐसे में मैंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी से रालेगण सिद्धि में अनशन पर जाने का निर्णय किया है।'
हजारे ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि एक संवैधानिक निकाय संसद द्वारा कानून पारित करने और साथ ही उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी शीघ्र नियुक्त के लिए कहने के बावजूद अब तक कुछ नहीं हुआ। लोकपाल विधेयक संसद से पास हुआ और राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किया। (भाषा)