नई दिल्ली। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) और अन्य ने आर्कटिक महासागर के गर्म होने की दर का जो अनुमान जताया है, यह उससे अधिक हो सकती है।
उनका कहना है कि समिति ने जलवायु परिवर्तन का आकलन करने के लिए जिन मॉडल का उपयोग किया है, वे आर्कटिक के भविष्य को लेकर सटीक अनुमान नहीं जता पाते।
गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय, स्वीडन के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ये मॉडल इसलिए सटीक नहीं हैं क्योंकि दुनिया के इस हिस्से में अपेक्षाकृत कम पूर्वानुमान लगाये जाते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने हाल में हुए दो वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से कहा कि आर्कटिक महासागर के गर्म होने की दर लगातार बढ़ती रहेगी और यह जलवायु परिवर्तन मॉडल के आकलन से अधिक होगी। जलवायु विज्ञानी सेलीन ह्यूज ने कहा कि ये जलवायु मॉडल जलवायु परिवर्तन के परिणामों को तवज्जो नहीं देते। (एजेंसी)