'स्लीपर सेलों' से रहें सावधान!

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भारतीय सेना के सूरमाओं ने आधी रात को पाकिस्तान की पनाह में पनप रहे आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर 38 आतंकियों को मौत की नींद सुलाकर करारा सबसे बड़ा जवाब दिया है। उड़ी हमले के 10 दिन बाद भारत ने अपना बदला लिया...प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दिनों के शब्दों को याद कीजिए, जिसमें उन्होंने कहा था 'पाकिस्तान के हुक्मरान सुन लें, सेना के 18 जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा...भारत ने 18 के बदले 38 आतंकियों को ढेर कर दिया..भारत के बदले से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। उसमें सीधा हमला करने की न तो ताकत है और न ही हिम्मत, ऐसे में वह 'स्लीपर सेलों' का सहारा ले सकता है, जिससे पूरे देश को अभी से सावधान होने की जरूरत है...
भारत ने पाकिस्तान को 1995 और 1971 के युद्धों में करारी शिकस्त दी थी और यही कारण है कि वह आगे बढ़कर हमला करने का ख्वाब भी नहीं देख सकता। तिलमिलाया हुआ पाकिस्तान भारत में अंदरुनी हमले करने के लिए दूसरे हथकंडे अपना सकता है। भारत दुश्मनों से तो अच्छी तरह से निपट सकता है, लेकिन घर में छुपे हुए 'गद्दारों' से निपटना भी उसके लिए बड़ी चुनौती होगी। स्लीपर सेल के रूप में सिमी के कार्यकर्ता सक्रिय हो सकते हैं, जैसे उन्होंने मंदिरों और भीड़भरे इलाकों में धमाके करके दहशत फैलाई थी। 
 
सरकार ने जब से सिमी पर प्रतिबंध लगाया है, तब से उसका दूसरा रूप इंडियन मुजाहिदीन के रूप में उभरा है। सिमी के कार्यकर्ताओं को जब खंडवा और उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था, तब उन्होंने इसका खुलासा किया था कि उन्होंने चोरल के जंगलों में आतंक की ट्रेनिंग ली थी यानी हमारे बीच में ही कई 'जयचंद' मौजूद हैं, जिन्हें ढूंढना होगा और उन्हें उनके सही ठिकानों पर पहुंचाना होगा।
 
भारतीय सेना के बाद सीमा पर सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाल लिया है और पाकिस्तान की हर हरकत का माकूल जवाब देने के लिए पर्याप्त असला भी जमा कर लिया है। पूरी दुनिया को मालूम है कि पाकिस्तान आतंकियों का सबसे बड़ा पनाह स्थल है और वहां पर हाफिज सईद जैसे दुनिया के मोस्ट वांटेट आतंकी खुलेआम जलसे करके भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। बीती रात जब से भारतीय सेना ने आतंकियों को उन्हीं के घर में घुसकर मारा है, तब से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। 
 
10 दिन पहले जब सीमा पार से आए जैश के आतंकियों ने भारतीय सेना के 18 जवानों को सोते हुए मारा था, तब से पूरा देश गुस्से में था। उस वक्त भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा था कि हम बदला लेंगे, लेकिन जगह भी हम चुनेंगे, गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हम ही चुनेंगे...और आखिर हमारी सेना ने पूरी शान के साथ बदला ले लिया। बदला तो ले लिया हैलेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ है। देशवासियों को 'स्लीपर सेलों' से बहुत सजग रहने की जरूरत है। पाकिस्तान इन स्लीपर सेलों के जरिए भारत में गड़बड़ी फैला सकता है। इसलिए हमें अभी से बहुत सावधान रहने की जरूरत है। 
 
भारत में कब-कब हुए बड़े आतंकवादी हमले... 
* मुंबई सीरियल ब्लास्ट : 12 मार्च 1993 को पूरे मुंबई में सीरियल धमाके हुए। इन धमाकों के पीछे डी कंपनी का हाथ था। इस हमले में 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग घायल हुए थे।
 
* कोयम्बटूर धमाका : 14 फरवरी 1998 में इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह ने कोयंबटूर में 11 अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके किए। इसमें 60 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे।
 
* 3 नवंबर, 1999 को श्रीनगर के बादाम बाग में हुए आतंकवादी हमले में 10 जवान शहीद हो गए।
 
* जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला : 1 अक्टूबर 2001 को भवन जैश ए मोहम्मद ने 3 आत्मघाती हमलावरों ने विधानसभा भवन पर कार बम हमला किया। इसमें 38 लोग मारे गए।
 
* भारतीय संसद पर हमला : 13 दिसंबर 2001 में लश्करे तैयबा और जैश मोहम्मद के 5 आतंकवादी भारत के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन परिसर में घुस गए। हालांकि सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया और आतंकी अपने मंसूबे में नाकाम हो गए। हमले के समय संसद भवन में 100 राजनेता मौजूद थे। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी और 3 संसद भवन कर्मी मारे गए।
 
* 14 मई, 2002  को जम्मू कश्मीर के कालूचक में हुए हमले में 21 जवान शहीद गए और जबकि 36 अन्य लोगों की मौत हो गई। 
 
* अक्षरधाम मंदिर पर हमला : 24 सितंबर 2002 में लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 2 आतंकी मुर्तजा हाफिज यासिन और अशरफ अली मोहम्मद फारूख दोपहर 3 बजे अक्षरधाम मंदिर में घुस गए। इनके हमले में 31 लोग मारे गए जबकि 80 लोग घायल हो गए थे।
 
* 22 जुलाई, 2003 को जम्मू कश्मीर के अखनूर में हुए आतंकी हमले में 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
 
* दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट : 29 अक्टूबर 2005 में दीवाली से 2 दिन पहले आतंकियों ने 3 बम धमाके किए। 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाड़गंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए। तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ। इसमें कुल 63 लोग मारे गए जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
 
* मुंबई ट्रेन धमाका : 11 जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग 7 बम विस्फोट हुए। सभी विस्फोटक फर्स्ट क्लास कोच में बम रखे गए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था। इसमें कुल 210 लोग मारे गए थे और 715 लोग जख्मी हुए थे।
 
* महाराष्ट्र के मालेगांव में 8 सितंबर, 2006 को हुए तीन धमाकों में 32 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।
 
* 5 अक्टूबर 2006 श्रीनगर में हुए हमले 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। 
 
* भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 19 फरवरी, 2007 को हुए धमाके में 66 यात्री मारे गए। 
 
* आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में 25 अगस्त, 2007 को हुए धमाके में 35 मारे गए और कई अन्य लोग घायल हो गए। हैदराबाद में ही 18 मई, 2007 को मक्का मस्जिद धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई।
 
* उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी, 2008 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कैंप पर हुए हमले में आठ लोग मारे गए।
 
* जयपुर विस्फोट : गुलाबी नगरी जयपुर में 13 मई 2008 में 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाके हुए। इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
 
* अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 के दिन दो घंटे के भीतर 20 बम विस्फोट होने से 50 से अधिक लोग मारे गए। इस दौरान सूरत और बड़ौदा से भी बम बरामद हुए थे। 
 
* इंफाल में 21 अक्टूबर, 2008 को मणिपुर पुलिस कमांडो परिसर पर हुए हमले में 17 लोगों की मौत हो गई। 
 
* असम में धमाके : राजधानी गुवाहाटी में 30 अक्टूबर 2008 को विभिन्न जगहों पर कुल 18 धमाके आतंकियों द्वारा किए गए। इन धमाकों में कुल 81 लोग मारे गए जबकि 470 लोग घायल हुए।
 
* 26/11 मुंबई आतंकी हमला : 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आत्मघाती हमलावरों ने सीरियल बम धमाकों के अलावा कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की। आतंकियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबेराय को कब्जे में ले लिया था। इस हमले में करीब 180 लोग मारे गए थे और करीब 300 लोग घायल हुए थे। आतंकवादी कसाब पकड़ा गया था, जिसे मुकदमे के बाद फांसी दे दी गई।
 
* पुणे की जर्मन बेकरी में 10 फरवरी, 2010 को हुए बम धमाके में नौ लोग मारे गए और 45 घायल हुए।
* बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 17 अप्रैल, 2010 में हुए दो बम धमाकों में 15 लोगों की मौत हो गई। 
 
* 31 मार्च, 2013 में श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में 5 जवान शहीद हुए। 
 
* 24 जून, 2013 को श्रीनगर में हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हो गए। 
 
* 26 सितंबर 2013 में हुए एक आत्मघाती हमले में 10 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इनमें ले. कर्नल बिक्रमजीतसिंह भी शामिल थे। सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को भी मार गिराया था। 
 
* 5 दिसंबर 2014 में उड़ी सेक्टर में हुए हमले में 7 सैनिक शहीद हो गए। 
 
* पठानकोट हमला : 2 जनवरी को 2015 को पठानकोट एयरबेस पर 7 पाकिस्तानी आतंकवादियों हमला कर कई लोगों को घायल कर दिया जिसमें 7 जवान शहीद हो गए।  
 
* गुरदासपुर हमला : पाकिस्तान की सीमा से महज 10-20 किलोमीटर दूर पंजाब के गुरदासपुर में 27 जुलाई 2015 को बड़ा आतंकी हमला हुआ। हमले में गुरदासपुर के SP डिटेक्टि‍व बलजीत सिंह सहित 4 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सबसे पहले जम्मू जा रही बस को निशाना बनाया और फिर दीनानगर पुलिस थाने में घुस गए। वहां उन्होंने अंधाधुध फायरिंग की। 11 घंटे चली लड़ाई में कुल सात लोगों की जान चली गई और 3 आतंकवादी मारे गए।
 
* 7 दिसंबर 2015 में अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले में 6 जवान शहीद हुए। 
 
* 25 जून 2016 पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 8 जवान शहीद हुए।
 
* उड़ी में भारतीय सेना के कैंप पर हमला : 18 सितंबर 2016 में उड़ी सेक्टर सेना के कैंप पर हुए एक आतंकवादी हमले में कम से कम 20 जवान शहीद हो गए।
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