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केजरीवाल का RSS प्रमुख भागवत से सवाल, भाजपा का पथ भ्रष्‍ट क्यों हो गया?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, रविवार, 22 सितम्बर 2024 (12:54 IST)
arvind kejriwal in janta ki adalat : आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता की अदालत में संघ प्रमुख मोहन भागवत से कई सवाल किए। उन्होंने कहा कि भागवत बताएं, भाजपा का पथ भ्रष्‍ट क्यों हो गया?
 
केजरीवाल ने सवाल किया कि मोदी जी ED-CBI का दुरुपयोग कर पार्टियां तोड़ और सरकारें गिरा रहे हैं, क्या ये देश के लिए सही है? मोदी जी ने देश के सभी भ्रष्ट नेताओं को BJP में शामिल कर लिया, जिन्हें उन्होंने ख़ुद सबसे बड़े भ्रष्टाचारी बताया था। क्या आपने ऐसी BJP की परिकल्पना की थी? क्या आप BJP के इन कदमों से सहमत हैं?

उन्होंने सवाल किया कि JP Nadda ने कहा था कि अब BJP को RSS की जरूरत नहीं है, अब बेटा अपनी मां (RSS) को आंख दिखाने लग गया है। ये सुनकर आपके दिल पर क्या गुजरी? आपने कानून बनाया था कि 75 साल के बाद बीजेपी नेता रिटायर हो जाएंगे, आडवाणी जी को रिटायर कर दिया गया। जो नियम आडवाणी जी पर लागू हुआ, क्या वो मोदी जी पर लागू नहीं होना चाहिए?
 
आप संयोजक ने कहा कि मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मैं भ्रष्टाचार करने नहीं आया था, मुझे सत्ता का लालच, CM की कुर्सी की भूख नहीं है। मैं पैसे कमाने नहीं आया, पैसे कमाने होते तो मैं इनकम टैक्स की नौकरी करता था। उसमें करोड़ो रुपए कमा लेता बल्कि हम तो देश के लिए आए थे।
 
केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी ने हमारे ऊपर देश का सबसे कठोर कानून लगाया, PMLA कानून, इसमें बेल भी नहीं मिलती लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हम सभी को बेल दे दी। मैं इस दाग के साथ नहीं जी सकतकाम करना तो दूर की बात, मैं इस दाग के साथ जी भी नहीं सकता।
 
उन्होंने कहा कि आपके बीच आकर अच्छा लग रहा है। आज यहां जंतर-मंतर पर पुराने दिन याद आ गए। मुझे आज भी तारीख याद है, 4 अप्रैल 2011 का दिन था जब आज़ाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन अन्ना आंदोलन यहां से शुरू हुआ था।
आप नेता ने कहा कि उस वक्त की सरकार हमें चैलेंज करती थी कि चुनाव लड़कर दिखाओ और जीतकर दिखाओ, चुनाव लड़ने के लिए पैसा, गुंडे, आदमी चाहिए थे और हमारे पास यह सब नहीं था। हमारे पास न पैसा था न आदमी थे न गुंडे थे, हम चुनाव कैसे लड़ते, फिर हम चुनाव लड़ लिए और जनता ने हमें जीता दिया। देश में हमने 2013 में साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े भी जा सकते हैं और ईमानदारी से चुनाव जीते भी जा सकते हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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