Hanuman Chalisa

अमेरिका-चीन में रिश्तों की तल्‍खी के बीच एशिया में अपनी धाक जमाने की कोशिश में भारत

Webdunia
सोमवार, 20 फ़रवरी 2017 (11:17 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के रिश्ते तानव के चलते एशियाई देशों की नजरें संतुलन साधने वाली ऐसी शक्तियों की तरफ टिक गयी हैं जो आक्रामक चीन और संदेहयुक्त अमेरिका- दोनों के खतरों को बेअसर कर सके। ऐसे में उन्हें भारत एक ऐसा देश नजर आ रहा है जो क्षेत्र में उनका बेहतर नेतृत्व कर सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, आने वाले कुछ सप्ताह और महीनों में भारत एशियाई देशों के साथ पहले से मजबूत अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करने की योजना पर कार्य कर रहा है, तांकि वह इस क्षेत्र में विभिन्न गठजोड़ों के जरिए वह एक नेतृत्वकर्ता के रूप में भूमिका अदा कर सके।  
 
आगामी हफ्तों के दौरान वियतनाम के विदेश मंत्री फाम बिन मिन और उप-राष्ट्रपति भारत का दौरा करेंगे। मलयेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक की भी भारत आने की संभावना है। भारत इस वर्ष ऑस्ट्रेलियाई के प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल की भी मेजबानी कर सकता है।
 
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इसी वर्ष अप्रैल में भारत का दौरा कर सकती हैं, जबकि विदेश सचिव एस जयशंकर फिलहाल श्रीलंका, चीन और बांग्लादेश के दौरे पर गए हुए हैं। उनका यह दौरा पड़ोसी देशों के साथ आपसी रिश्तों को मजबूत कर एशिया में भारत की भूमिका को विस्तार देने के नजरिए से देखा जा रहा है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शुरुआती कार्यकाल के दौरान क्षेत्रीय देशों के लिए अच्छे संकेत नहीं गए हैं। सामान्य धारणा बन रही है कि अमेरिका और चीन के रिश्ते और कठिन होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर हर क्षेत्रीय देश पर पड़ेगा। ट्रंप और उनके शीर्ष मंत्रीमंडलीय सहयोगियों ने चीन की ओर से महाद्वीप के निर्माण पर और ज्यादा टकराव के रुख की ओर इशारा किया है।  
 
ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के ट्रांस-पसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) को आगे जारी नहीं रखेगा, खासकर व्यापार और शुल्कों पर उसका रवैया बेहद आक्रामक रहेगा। दरअसल, ट्रंप प्रशासन दूसरों की भांति यह नहीं मानता कि टीपीपी से निकलने पर चीन को रणनीतिक तौर पर और अधिक विस्तार मिल जाएगा। उसे लगता है कि चीन को काबू में रखने में टीपीपी का सीमित असर रहा है। अमेरिका और चीन के वर्तमान संबंधों के क्षेत्रीय ताकतों के लिए इसके दो मायने हैं- उन्हें पता है कि उन्हें चीन से क्या उम्मीद कर सकते हैं और चिंता भी है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि नए अमेरिकी प्रशासन से किस तरह की उम्मीद की जानी चाहिए। इनके पीछे अपने कारण भी हैं।  
Show comments

जरूर पढ़ें

Rahul Gandhi H Files : राहुल गांधी के ब्राजीलियाई मॉडल वाले बम पर BJP ने कहा- वोट तो इटैलियन महिला ने भी डाला था

बेटी को पोर्न दिखाए, बीयर पिलाई और दोस्त से कई बार करवाया रेप, मां और उसके साथी की खौफनाक करतूत

SIR का समर्थन कर रहे हैं राहुल गांधी, वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दागा सवाल

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट DSP कैसे बना अरबपति?

युगांडा में पैदा हुए भारतीय मूल के मुस्लिम जोहरान ममदानी ने ट्रंप को कैसे दी पटखनी, 2018 में बने थे अमेरिकी नागरिक

सभी देखें

नवीनतम

बिहार में 18 जिलों की 121 सीटों पर वोटिंग का उत्साह, इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

LIVE: बिहार में 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान, पीएम मोदी की वोटर्स से अपील

Bihar Election 2025 : बिहार में पहले चरण की वोटिंग आज, 1,314 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में होगी बंद, EC पहली बार करेगा यह प्रयोग

Bilaspur Train Accident : कैसे हुआ भयावह हादसा, सामने आया चौंकाने कारण

Dev Diwali पर काशी में अद्‍भुत नजारा, 25 लाख दीपों से हुई रोशन, CM योगी ने उतारी मां गंगा की आरती

अगला लेख