राममंदिर ट्रस्ट पर दिल्ली से अयोध्या तक संतों के बीच छिड़ा ‘संग्राम’
, शुक्रवार, 15 नवंबर 2019 (11:52 IST)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट को लेकर अब साधु संतों में संग्राम छिड़ गया है। ट्रस्ट में शामिल होने को लेकर अयोध्या से दिल्ली तक साधु संत अपनी दावेदारी कर रहे हैं। फैजाबाद की स्थानीय अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक राममंदिर की लड़ाई लड़ने वाले निर्मोही अखाड़ा अब ट्रस्ट में अपनी हिस्सेदारी को लेक खुलकर सामने आ गया है।
निर्मोही अखाड़े का दावा हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर ट्रस्ट में अखाड़े को समुचित प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया है। इसके बाद सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े का क्या रोल होगा और उसको किस तरह प्रतिनिधित्व मिलेगा।
वहीं राममंदिर ट्रस्ट में दावेदारी की लड़ाई अब दिल्ली पहुंच गई है। राम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव अविमुत्तेश्वरनंद सरस्वती ने ट्रस्ट में शामिल होने को लेकर दिल्ली पीएमओ और गृहसचिव को एक ज्ञापन सौंपा है। इतना ही नहीं ट्रस्ट ने दिल्ली में प्रेस कॉफेंस कर बकायदा ट्रस्ट के लिए अपनी दावेदारी ठोंकते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनको ट्रस्ट में नहीं शामिल किया गया तो वह कोर्ट का रुख करेंगे।
ट्रस्ट के सचिव अविमुक्तेश्वरानंद का दावा हैं कि उनका न्यास मंदिर निर्माण के लिए कानून और व्यवहारिक तौर पर सबसे उपयुक्त है और ट्रस्ट को ही राममंदिर निर्माण का काम सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने राममंदिर ट्रस्ट को राजनीति से दूर रखने की मांग की है।
सड़क पर साधु संतों की लड़ाई - दूसरी ओर राममंदिर ट्रस्ट में हिस्सेदारी को लेकर अयोध्या में साधु संतों की लड़ाई अब सड़क पर आ गई है। गुरुवार को राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास और महंत परमहंसदास के समर्थक आप में भिड़ गए। विवाद बढ़ता देख आखिरकार पुलिस को बीच बचाव के लिए आने पड़ा।
राममंदिर ट्रस्ट से जुड़े एक ऑडियो के वायरल होने के बाद अयोध्या में साधु संतों के बीच दूरियां अब सबके सामने आ गई है। रामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने पहले ही किसी भी प्रकार के नए ट्रस्ट के गठन पर सवाल उठा दिए है। उन्होंने रामजन्म भूमि न्यास को ही मंदिर निर्माण की पूरी जिम्मेदारी सौंपने की मांग कर दी है।
इस बीच केंद्र सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि अयोध्या में राममंदिर ट्रस्ट को लेकर सरकार किसी भी प्रकार को कोई भी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लाने जा रही है।
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