कर्नाटक में आज मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार अपना पहला साल पूरा कर रही है। भाजपा शासित कर्नाटक में 28 जुलाई 2021 में दिग्गज बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बसवराज बोम्मई ने सरकार की कमान अपने हाथ में ले थी। बसवराज बोम्मई की सरकार जब अपना एक साल पूरा कर रही है तब मेंगलुरू में भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या के चलते हालात तनावपूर्ण है और राज्य पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है। प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सरकार के एक साल पूरे होने पर होने वाले कार्यक्रम को भी रद्द कर दिया गया है।
दावा किया जा रहा है कि उदयपुर के कन्हैयालाल के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के चलते प्रवीण की हत्या की गई है। प्रवीण की हत्या में पीएफआई संगठन का नाम भी सामने आ रहा है। प्रवीण की हत्या के बाद कर्नाटक में जमकर बवाल मचा हुआ है, हिंदू संगठन सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग करे है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्रवीण की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे तत्वों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
फिर बढ़ सकता है हिजाब विवाद?- वहीं कर्नाटक में हिजाब विवाद फिर से गर्माता हुए दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी में सरकारी स्कूल से शुरु हुआ हिजाब विवाद अब फिर से गर्माता हुआ दिखाई दे रही है। दरससल कर्नाटक में कुछ मुस्लिम संगठनों ने कर्नाटक के दक्षिणी जिलों में नए निजी कॉलेज खोलने की मंजूरी सरकार से मांगी है। मुस्लिम संगठनों की ओर से 13 नए निजी कॉलेज खोलने के लिए आवेदन दिया गया है। मुस्लिम संगठनों की ओस से खोले जाने वाले ये वो कॉलेज होंगे, जहां हिजाब पर कोई पाबंदी नहीं होगी। गौर करने वाली बात यह है कि प्राइवेट कॉलेज खोलने के लिए इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम संगठनों की ओर से पहले कभी इतने आवेदन नहीं दिए गए।
कर्नाटक में एक लंबे अरसे से सांप्रदायिक महौल को बिगड़ने की खबरें आती रही है। पिछले एक साल के दौरान कर्नाटक की सियासी फिजा में हिजाब विवाद, धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़े सांप्रदायिक मुद्दे, मंदिर मेलों के दौरान मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध और धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल जैसे मुद्दे हावी रहे है।
मिथक तोड़ पाएंगे मुख्यमंत्री बोम्मई?-कर्नाटक जहां अगले साल के मध्य में विधानसभा चुनाव होने वह राज्य लगातार चर्चा के केंद्र में है। ऐसे में जब विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम वक्त का समय शेष बचा है तब भाजपा की नजर सत्ता को बरकरार रखने पर है। गृहमंत्री अमित शाह साफ कर चुके है कि बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में ही पार्टी विधानसभा चुनाव में जाएगी। वहीं मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कर्नाटक में दशकों से चले आ रहे इस मिथक को तोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है कि राज्य में कोई भी पार्टी सरकार को बरकरार नहीं रख पाती है। इतिहास बताता है कि कर्नाटक में 1985 से अब तक कोई भी पार्टी पांच साल बाद सत्ता में दोबारा नहीं लौटी है।
भाजपा ने अगले साल होने वाले चुनाव में 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री बोम्मई ने हाल में कहा था कि भाजपा सकारात्मक राजनीति और सुशासन पर अपने रिपोर्ट कार्ड के साथ 2023 के विधानसभा चुनाव में लोगों के सामने जाएगी। वहीं कर्नाटक में हर नए दिन के साथ के साथ धार पकड़ती हिंदुत्व और ध्रुवीकरण की सियायत भाजपा को कितना फायदा या नुकसान पहुंचाएगी यह सवाल भी बना हुआ है।