नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाकर उन्हें तो राहत दे दी। लेकिन कुलभूषण जाधव से पहले भी कुछ भारतीय कैदी लंबे समय तक पाकिस्तान की जेलों में बंद रहे।
सरबजीत सिंह : सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अगस्त 1990 में गिरफ्तार किया था। वह 23 साल तक पाकिस्तान की जेल में कैद रहे। उनकी बहन दलबीर कौर और कुछ एनजीओ ने मिलकर सरबजीत सिंह की रिहाई को लेकर लंबी मुहिम चलाई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। 2 मई 2013 में लाहौर के कोट लखपत जेल में सरबजीत सिंह पर कैदियों ने हमला कर दिया जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में उनकी अस्पताल में मौत हो गई।
कश्मीर सिंहः कश्मीर सिंह को 1971 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान की जेल में लंबे समय तक बंद रहे। जासूसी के आरोप में उन्हें फांसी की सजा सुनाई जा चुकी थी, महज दो घंटे पहले ही उनकी मौत की सजा रोक दी गई। हालांकि सजा पर रोक के बाद भी भारत आने में उन्हें 35 साल लग गए।
रवींद्र कौशिकः राजस्थान में जन्मे भारतीय नागरिक रवींद्र कौशिक 25 साल तक पाकिस्तान में रहे। उनकी मौत भी पाकिस्तानी की ही एक जेल में हुई। रवींद्र कौशिक पाकिस्तान के कई जेलों में 16 साल तक रखा गया और 2001 में उनकी मौत जेल में ही हुई। कहा जाता है कि सलमान खान की सुपरहिट फिल्म 'एक था टाइगर' उनकी ही जीवन से प्रेरित थी।
गुरबख्श रामः गुरबख्श राम को 1990 में खुफिया एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था। वह पाकिस्तान में कथित तौर पर शौकत अली के नाम से जाने जाते थे। वह 18 साल तक पाकिस्तान की कई जेलों में रहे। 2006 में 19 अन्य भारतीय कैदियों के साथ उन्हें रिहाई मिली और वे भारत लौट आए।
सुरजीत सिंहः सुरजीत को भी पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें पहले मौत की सजा सुनाई गई फिर पाकिस्तान की अदालत ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया। 2012 में 69 साल की उम्र में वह भारत लौटने में कामयाब रहें।