भोपाल गैस त्रासदी : वो खौफनाक रात जब दर्द से चीख उठे लोग...

Webdunia
शनिवार, 2 दिसंबर 2023 (18:46 IST)
Bhopal Gas Tragedy : मध्यप्रदेश की राजधानी में 2 दिसंबर 1984 की सर्द रात को यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से जहरीली गैस के रिसाव ने न केवल यहां हजारों लोगों की जान ले ली थी, बल्कि त्रासदी के 39 साल बाद भी यह जीवित बचे लोगों को एक भयंकर सपने की तरह याद है।
 
इस हादसे के बाद यह कारखाना बंद किया जा चुका है। दो और तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को कीटनाशक कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव के बाद कम से कम 3,787 लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग शारीरिक रूप से प्रभावित हुए।
 
गैस पीड़ित और रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य आरक्षण अधीक्षक महेंद्रजीत सिंह (79) ने शनिवार को बताया, हादसे वाली दो दिसंबर की रात को मैं डर से कांप उठा। मैंने उस ठंडी रात में लोगों को मरते हुए देखा था।
 
उस भयावह रात को याद करते हुए, सिंह ने कहा, उस रात लगभग दो बजे मेरा परिवार सो रहा था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से कुछ ही दूरी पर स्थित रेलवे कॉलोनी में लोगों की चीख-पुकार ने हमें जगाया। हम घर से बाहर भागे और कारखाने से निकलने वाली गैस से बचने के लिए स्कूटर से और पैदल भागे।
 
ऑल इंडिया रिटायर रेलवेमैन फेडरेशन वेस्टर्न ज़ोन के अध्यक्ष सिंह ने कहा, उनके परिवार ने उनके घर से चार किमी दूर एक होटल में रात बिताई। कुछ साल बाद, सिंह ने अपनी मां और छोटे भाई को खो दिया, जो जहरीली गैस के संपर्क में आए थे।
 
उन्होंने कहा, गैस रिसाव के तीन दिन बाद, मैंने देखा कि हमारे घर के पास एक पीपल के पेड़ की पत्तियां गिर गई थीं और वह मृत और बेजान दिखाई दे रहा था। उन्होंने कहा कि शहर के अन्य हिस्सों में भी पेड़-पौधों पर जहरीली गैस का असर देखा गया।
 
सिंह ने कहा, त्रासदी के बाद, ऐसी अफवाहें थीं कि फैक्टरी से बची हुई जहरीली गैस निकलेगी। ऐसी अपुष्ट खबरों को देखते हुए हमने पड़ोसी होशंगाबाद जिले में शरण ली। पूर्व रेलकर्मी ने कहा कि उन्होंने इस त्रासदी में अपने कई सहयोगियों को खो दिया है और जो बच गए, वे बीमारियों, विशेषकर सांस लेने की समस्याओं के साथ जी रहे हैं।
 
सेवानिवृत्त सहायक स्टेशन मास्टर रामबली प्रसाद वर्मा (83) ने कहा कि वह भाग्यशाली थे कि आपदा से बच गए। उन्होंने बताया, यूनियन कार्बाइड फैक्टरी की चारदीवारी के पास स्थित रेलवे केबिन में मेरी ड्यूटी 2 दिसंबर की रात 10 बजे खत्म हो गई।
 
आधी रात के आसपास, जब फैक्ट्री से गैस लीक हुई, तब वर्मा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे कॉलोनी में अपने घर पर थे। उन्होंने कहा, जहरीली गैस से बचने के लिए हम इधर-उधर भागे और हमें कुछ दूर स्थित सेना के वाहन में शरण मिली।
 
वर्मा और उनका परिवार दिन निकलने पर घर लौट आए, लेकिन कुछ घंटों बाद फिर से अपना घर छोड़ना पड़ा क्योंकि ऐसी अफवाहें थीं कि बची हुई जहरीली गैस तीन दिसंबर को सुबह 11 बजे के आसपास फिर निकाली जाएगी। इसके बाद वर्मा का परिवार इंदौर चला गया और चीजें ठीक होने पर वापस लौटा था।
 
बुजुर्ग ने कहा, जब मैं उस ठंडी रात के बारे में सोचता हूं, तो मैं कांपने लगता हूं। गैस के संपर्क में आने के कारण मुझे सांस लेने में दिक्कत आती है और दमा हो गया है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

बेंगलुरु भगदड़ : क्या राज्य सरकार ने DCP की चिट्ठी को किया नजरअंदाज, भीड़ को लेकर दी थी चेतावनी

कोरोना की स्पीड से दहशत, इस साल 65 मौतें, 6000 के पार हुए केस, 24 घंटे में 6 मौतें

डिलीवरी के बाद इंदौर में Corona positive महिला की मौत, ये दूसरी मौत, अब तक मिले 38 मरीज

मणिपुर में बिगड़े हालात, सिर पर डाला पेट्रोल, 5 जिलों में इंटरनेट बंद, कर्फ्यू

सोनम के लिए सड़कों पर सहेलियां, मां-बाप ने बेटी की तस्वीर उलटी लटकाई, कहा जिंदा है सोनम

सभी देखें

नवीनतम

Manipur Violence : मणिपुर में फिर बढ़ा तनाव, मैतेई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद 10 दिन बंद का ऐलान, इंटरनेट बंद, हाईलेवल मीटिंग

2026 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में NDA की सरकार बनेगी : अमित शाह

भारत की बहुआयामी प्रगति, समृद्धि और सम्मान के 11 वर्ष

CM मोहन यादव के छोटे बेटे डॉ. अभिमन्यु की सगाई, जानिए कौन हैं उनकी होने वाली बहू

Bihar Assembly Elections : चिराग पासवान का ऐलान, लडूंगा विधानसभा चुनाव, जनता तय करेगी सीट

अगला लेख