चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर भाजपा ने साधे एक तीर से कई निशाने
राष्ट्रीय लोकदल मुखिया जयंत चौधरी जल्द ही एनडीए में शामिल होंगे
Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh: केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यूं तो 3 दिग्गजों- पूर्व प्रधानमंत्रीद्वय चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव तथा कृषि वैज्ञानिक एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न से नवाजने की घोषणा की है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से चौधरी साहब भाजपा को ज्यादा फायदा पहुंचा सकते हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने की योजना पर काम कर रही है।
भाजपा चरणसिंह के माध्यम से गांव, गरीब, किसान और जाट समुदाय को साधना चाहती है। गांव, गरीब और किसान के शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले चौधरी चरणसिंह भी खुद को प्रधानमंत्री से ज्यादा एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता मानते थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले को भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इसमें कोई शक भी नहीं कि भाजपा कर्पूरी ठाकुर या लालकृष्ण आडवाणी के माध्यम से राजनीतिक हित साधना ही चाहती है। एक साथ पांच लोगों को भारत देना भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
27 लोकसभा सीटों पर नजर : चरणसिंह को भारत रत्न देने का पहला लाभ तो जयंत चौधरी के रूप में ही दिखाई दे रहा है। वे जल्द ही इंडिया गठबंधन को छोड़कर भाजपा के पाले में आ सकते हैं। जयंत के एनडीए में आने से इंडिया गठबंधन और कमजोर हो जाएगा, वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा एनडीए की सीटें बढ़ सकती हैं। वर्तमान में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 27 लोकसभा सीटों में से 19 भाजपा के पास हैं, जबकि 4-4 सीटें सपा और बसपा के पास हैं। यदि भाजपा को इस इलाके में जयंत का साथ मिल जाता है तो वह 20 के आंकड़े को पार कर सकती है।
दिल जीत लिया : भारत रत्न की घोषणा के बाद जयंत कह भी चुके हैं- दिल जीत लिया! वहीं, रालोद के प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने कहा कि चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न देना किसान मजदूर और उनके करोड़ों अनुयायियों के लिए यह एक सुखद पल है, आज का दिन त्योहार से कम नहीं। चौधरी चरण सिंह जी के करोड़ों अनुयायी हर्षित हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश जाट बहुल इलाका है, ऐसे में भाजपा को वहां तो जयंत से गठजोड़ का फायदा मिलेगा ही, वहीं हरियाणा और राजस्थान की जाट बहुल सीटों पर भी भाजपा के वोट बढ़ सकते हैं। कुछ अन्य इलाकों में भी भाजपा को लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है। ऐसे में जाट जाति का समीकरण भाजपा के पक्ष में हो सकता है।
दूर होगी किसानों की नाराजगी : भाजपा के इस चुनावी गुणा-भाग में किसान भी चुनाव में उसके करीब आ सकते हैं। चौधरी चरणसिंह को किसानों का मसीहा माना जाता रहा है, वहीं इस समय किसान मोदी सरकार से काफी नाराज चल रहे हैं। हाल ही में भी बड़ी संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली पहुंचे थे। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि चौधरीजी के नाम पर किसान उसके पाले में आ सकते हैं। हालांकि हकीकत लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद ही सामने आएगी, लेकिन एक बात तो तय है कि भाजपा ने फिलहाल एक तीर से कई निशाना साध लिए हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala