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रोहिंग्या शरणार्थियों से मिली प्रियंका चोपड़ा, भाजपा नेता ने कहा- ऐसे लोगों को देश से निकालो

हमें फॉलो करें रोहिंग्या शरणार्थियों से मिली प्रियंका चोपड़ा, भाजपा नेता ने कहा- ऐसे लोगों को देश से निकालो
नई दिल्ली , शुक्रवार, 25 मई 2018 (07:39 IST)
नई दिल्ली। अभिनेत्री और यूनीसेफ की सद्भावना दूत प्रियंका चोपड़ा ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर में रहने वाले म्यामां के विस्थापित रोहिंग्याओं से मुलाकात की। प्रियंका ने इस दौरे से नाराज भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा, 'प्रियंका चोपड़ा रोहिंग्या की हकीकत नहीं जानतीं। उन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों से नहीं मिलना चाहिए था।'
 
कटियार ने आगे कहा कि रोहिंग्यां शरणार्थियों को इस देश में रहने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग उनसे हमदर्दी रखते हैं, उन्हें भी इस देश में रहने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
 
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उल्लेखनीय है कि म्यामांर के रोहिंग्या शरणार्थियों की दुर्दशा पर दुनिया का ध्यान दिलाने की मांग की। उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की और बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पर उसके कार्यों के लिए इस देश की सराहना की। 
 
बांग्लादेश की चार दिवसीय यात्रा पर सोमवार को पहुंचीं प्रियंका ने कॉक्स बाजार में शरणार्थी शिविर में रहने वाले म्यामां के विस्थापित रोहिंग्याओं से मुलाकात की। प्रियंका के हवाले से प्रधानमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि विश्व को बांग्लादेश से सीखना चाहिए। 
 
प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रेस सचिव नजरूल इस्लाम ने कहा कि बॉलीवुड स्टार ने म्यामांर के जबरन विस्थापित शरणार्थियों का बोझ अपने कंधों पर लेने के लिए हसीना की तारीफ की। 
 
प्रियंका (35) ने कहा, 'इससे पूर्व जब मैं रोहिंग्या शिविरों में आई थी तो मैंने बच्चों से एक तस्वीर बनाने के लिए कहा ... उन्होंने हथियारों , बंदूकों और मोर्टार गोलों की तस्वीरें बनाई थी।' उन्होंने कहा कि इस बार जब मैंने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा तो उन्होंने सूरज, जानवरों और प्रकृति की तस्वीरें बनाई।
 
हसीना ने चोपड़ा से कहा कि उनकी सरकार ने मानवीय आधार पर रोहिंग्याओं को शरण दी क्योंकि 1971 में बांग्लादेश के लोगों ने इसी तरह की स्थिति का अनुभव किया था। 
 
हसीना ने यह भी कहा कि उनकी सरकार रोहिंग्याओं को सभी मदद देने के प्रयास कर रही है, लेकिन बांग्लादेश के लिए अकेले उनकी पीड़ा को दूर करना संभव नहीं है और यूनिसेफ तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को और अधिक मदद के साथ आगे आना चाहिए। 

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