नई दिल्ली। देश के दो बड़े राज्यों राजस्थान और मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और दोनों ही राज्यों में इस समय भाजपा की सरकार है। एबीपी न्यूज और लोकनीति-सीएसडीएस ने मिलकर मध्यप्रदेश में एक सर्वे कराया है जिसके तहत ये पता लगाने की कोशिश की है कि अगर इस समय मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे तो वहां भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रख पाने में सफल होगी या कांग्रेस अपना वापसी का रास्ता साफ कर पाएगी।
एमपी के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के लिए फिर एक बार अपनी कुर्सी बचाए रखना बड़ी चुनौती होगी और इसके लिए उन्हें सारी ताकत झोंकनी होगी क्योंकि सर्वे में भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही है।
मामा के लिए खतरे की घंटी : अगर मई 2018 में मध्यप्रदेश में चुनाव हुआ तो बीजेपी के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट आ सकती है। 2018 में बीजेपी का वोट शेयर घटकर 34 फीसदी रह सकता है जो कि साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में 45 फीसदी रहा था। वहीं कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 49 फीसदी हो सकता है जो साल 2013 में 36 फीसदी रहा था। बीएसपी का वोट प्रतिशत 5 फीसदी हो सकता है जो 2013 में 6 फीसदी था और अन्य के खाते में 12 फीसदी वोट प्रतिशत जा सकता है जो साल 2013 में 13 फीसदी रहा था। 230 सीटों वाली मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा के खाते में फिलहाल 165, तो कांग्रेस के खाते में 58 सीटें हैं।
इस तरह साफ नजर आ रहा है कि शिवराज सरकार के लिए खतरे की घंटी है और सर्वे में उनके वोट प्रतिशत में भारी गिरावट देखने में आ रही है जो उनके लिए चिंता का सबब हो सकता है। वहीं कर्नाटक में सरकार बना चुकी कांग्रेस के लिए एक और राज्य के विधानसभा चुनाव से अच्छी खबर आ सकती है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जिन्हें लोग प्यार से मामा भी कहते हैं तो इस बार उनके लिए चुनाव में कड़ी परीक्षा की घड़ी हो सकती है।
क्या कहता है राजस्थान का मूड : मध्य प्रदेश के साथ ही इस साल राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। सर्वे के आंकड़े राजस्थान भाजपा के लिए चिंता बढ़ाने वाले हैं। राज्य में भाजपा की सरकार है और वसुंधरा राजे सूबे की मुख्यमंत्री हैं। राजस्थान का राजनीतिक इतिहास है कि यहां सत्ता एक कार्यकाल के बाद दूसरी पार्टी की गोद में जाती रही है। जनता का मूड देखें तो इतिहास खुद को दोहराता ही नजर आ रहा है।
सर्वे के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस वोट शेयर के मामले में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। कांग्रेस 44 फीसदी वोट शेयर के साथ नंबर वन पार्टी बन सकती है, वहीं भाजपा 39 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बन सकती है। कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयर में बड़ा अंतर सामने आ सकता है।
छिन सकता है 'महारानी' का ताज : वहीं अन्य के खाते में 17 फीसदी वोट जा सकते हैं। इन आंकड़ों की अगर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो बीजेपी को इस बार छह फीसदी के वोट शेयर का नुकसान हो रहा है, वहीं कांग्रेस को लगभग 11% वोट का बड़ा फायदा हो रहा है। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 45 फीसदी और कांग्रेस का वोट शेयर 33 फीसदी था। 200 सीटों वाली इस विधानसभा में भाजपा के पास फिलहाल 163 सीटें हैं।
इस साल फरवरी में राजस्थान में हुए उपचुनाव नतीजों ने भी कांग्रेस के सत्ता में वापसी के संकेत दिए। अजमेर और अलवर सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव और मांडलगढ़ सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी और सचिन पायलट के नेत़त्व में राजस्थान कांग्रेस ने इस साल की शुरुआत बेहतर तरीके से की है।
भाजपा के लिए साल 2018 बेहद अहम और परीक्षा का साल रहा है और आगे भी होने वाला है। इस साल भाजपा ने गुजरात की सत्ता में वापसी की तो वहीं त्रिपुरा में लेफ्ट के दशकों के शासन को उखाड़ फेंका और पहली बार सत्ता में आई। लेकिन आने वाले राजस्थान और मध्यप्रदेश चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित होने वाली है। ये सर्वे 27 अप्रैल से 17 मई 2018 के बीच किया गया है। इसमें 19 राज्यों के 175 लोकसभा सीटों को शामिल किया गया है।