उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। अब खबर है कि उन्हें भाजपा की तरफ से केंद्र में कोई भूमिका दी जा सकती है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम के हवाले से यह खबर आई है।
गौतम ने कहा कि इस बदलाव को त्रिवेंद्र रावत की प्रशासनिक असफलता के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ' हालांकि पार्टी ही यह तय करेगी कि उनके बाद किसे जिम्मेदारी दी जाएगी। उनके बारे में बात करें तो वह पहले भी केंद्रीय स्तर पर काम कर चुके हैं और अनुभवी नेता है। ऐसे में पार्टी ने सोचा है कि उनका केंद्रीय स्तर पर काम करना ज्यादा फायदेमंद होगा।'
बता दें कि उत्तराखंड में कई विधायकों के त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज के तरीके से खुश न होने के चलते यह फैसला लिया गया है। इसके अलावा उन पर प्रशासनिक तौर पर बहुत ज्यादा सक्षम नहीं होने के भी आरोप लग रहे थे। सूबे में 2022 में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में उन्हें हटाने का फैसला पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों हो सकता था।
हालांकि काफी विचार-विमर्श के बाद भाजपा ने उनसे इस्तीफा लेने का ही फैसला लिया। विधायकों से बात करने वाले दुष्यंत गौतम ने इस बात से इनकार किया है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज से लोगों में या फिर पार्टी के विधायकों में किसी तरह की नाराजगी थी।
गौतम ने कहा कि चुनावी साल में लोगों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा होती हैं। सीएम के खिलाफ किसी तरह का गुस्सा नहीं है। उन्होंने काफी अच्छा काम किया था। यहां तक कि कोरोना के दौर में भी उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि राज्य में कोई प्रशासनिक कामकाज न रुके। पूर्व में आरएसएस के प्रचारक त्रिवेंद्र सिंह रावत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
2017 में उत्तराखंड में सीएम बनाते हुए पार्टी की लीडरशिप का त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर यह मानना था कि वह गुटबाजी से परे हैं और सूबे में नए नेतृत्व से असंतोष को दूर किया जा सकता है। हालांकि अनुभव की कमी के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत का विकल्प बहुत अच्छा साबित नहीं हुआ और चुनाव से ठीक एक साल पहले बदलाव का फैसला करना पड़ा।