देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर बड़ी सियासी उठापटक हुई। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। त्रिवेन्द्र सिंह रावत से इस्तीफे की पटकथा पिछले कई दिनों से लिखी जा रही थी। भाजपा 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना चाहती थी।
खबरों के मुताबिक भाजपा के कई विधायकों और मंत्रियों से रावत की पटरी बैठ नहीं रही थी। राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन नाम दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं।
इनमें राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत में से किसी को राज्य के अगले मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी जा सकती है। सतपाल महाराज का नाम भी रेस में शामिल है। सतपाल महाराज ने हाल ही में संघ के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की थी।
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार को 18 मार्च को 4 साल पूरे होने वाले हैं। इससे कुछ दिन पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री के खिलाफ पिछले कुछ समय से पार्टी और विधानमंडल दल में बगावत जैसा संकट गहरा रहा था। इसे देखते हुए पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
इसके बाद पार्टी आलाकमान ने पर्यवेक्षक की टीम को उत्तराखंड भेजा था। भाजपा ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और दुष्यंत कुमार गौतम को सभी की राय जानने के लिए देहरादून भेजा। आलाकमान को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने मुख्यमंत्री बदलने की बात कही थी।
केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सामने भाजपा विधायकों ने दोटूक कहा कि यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा जाता है तो पार्टी को जीत मिलना मुश्किल है। त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को दिल्ली तलब किया गया था।
रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीएल संतोष और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी से मुलाकात की थी। इसके बाद ही कयास लगाए जा रहे थे कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस्तीफा दे सकते हैं। सोमवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने की खबरें भी सामने आ रही थीं। हालांकि सोमवार को बीजेपी विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों को खारिज कर दिया था।
मुन्ना सिंह ने विधायक दल की बैठक होने से भी इंकार किया था। रावत के देहरादून पहुंचते ही सियासी घटनाक्रम काफी तेजी से बदला और रावत ने अपना इस्तीफा दे दिया।