खास खबर: 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटर बनेंगे किंगमेकर,रिझाने में जुटे सियासी दल!

विकास सिंह
गुरुवार, 22 जुलाई 2021 (15:27 IST)
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही अभी समय हो लेकिन अपनी जातिगत राजनीति की पहचान रखने वाले देश के सबसे बड़े राज्य में जातिवादी पॉलिटिक्स तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने में जुट गए है। जातिगत राजनीति की पहचान रखने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में इस वक्त सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में आने वाली जाति ब्राह्मण है, इसकी बड़ी वजह शुक्रवार (23 जुलाई) को अयोध्या में बसपा सुप्रीमो मायावती का ब्राह्मण महासम्मेलन करना है। वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए लगातार नए दांव चल रही है। 
 
ब्राह्मण वोटर योगी से नाराज!- 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें को राज्य की 56 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। जिसमें भाजपा के 46 उम्मीदवार जीतें थे और राज्य में भाजपा ने सत्ता हासिल की थी। बीते साढ़े चार सालों में उत्तर प्रदेश में वर्तमान योगी सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। चुनाव से ठीक पहले ब्राह्मण वोट बैंक को रिझाने के लिए भाजपा लगातार नए दांव चल रही है। जितिन प्रसाद को पहले भाजपा में लाना और अब उनको योगी सरकार में मंत्री बनाए जाने की अटकलों को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके साथ पिछले दिनों मोदी मंत्रिमंडल में अजय सिंह टेनी को शामिल किया गया है। 
 
योगी सरकार में कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे समेत एनकाउंटर में कई ब्राह्मणों के मारे जाने के बाद योगी सरकार को विपक्ष और ब्राह्मण संगठनों ने ब्राह्मण विरोधी ठहराया था। पिछले साढ़े चार सालों में योगी सरकार में ब्राह्मणों और ठाकुर की आपसी प्रतिस्पर्धा भी जगजाहिर है। अगर बात करें योगी मंत्रिमंडल में 8 ब्राह्मण विधायकों को जगह तो दी गई लेकिन डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को छोड़कर किसी को बड़े विभाग नहीं दिए गए। 

ब्राह्मण वोट बैंक की अहमियत- वैसे तो उत्तर प्रदेश की सियासत में हमेशा से ब्राह्मण सियासत के केंद्र में रहा है। राज्य में 12 फीसदी वोट बैंक रखने वाला ब्राह्मण समाज लगभग 100 सीटों पर जीत हार तय करने में अपना रोल निभाता है। ऐसे में हर पार्टी की नजर इसी वोट बैंक पर टिकी हुई है। प्रदेश के सियासी इतिहास को देखे तो ब्राह्मण का एक मुश्त वोट जिस भी पार्टी को मिलता है वह सरकार बना लेती है।

2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने ब्राह्म्ण वोट बैंक को साध कर सत्ता पर अपना कब्जा जमाया था। मायावती ने सतीश चंद्र मिश्रा का आगे कर सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाकर सरकार बना ली थी। 2007 में मायावती के साथ ब्राह्मणों के एकमुश्त जाने का बड़ा कारण ब्राह्मणों की की समाजवादी पार्टी से नाराजगी भी थी। 

ब्राह्मण संगठन हो रहे लामबंद-चुनाव से ठीक पहले अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्रनाथ त्रिपाठी ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते हैं कि चुनाव के समय सियासी दलों को ब्राह्मणों की याद आना शुभसूचक है लेकिन दुख की बात यह है कि पिछले साढ़े चार सालों में जिस तरह से उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों की हत्या, अत्याचार और उनके हितों पर कुठाराघात और उत्पीड़न हुआ तब यह लोग जो आज ब्राह्म्ण प्रेम दिखा रहे है उस वक्त कहा थे, न तो ब्राह्मणों का आंसू पोंछने आए न उनका दुख-दर्द बांटने नहीं आए। क्या यह लोग तब नहीं जानते थे कि उत्तर प्रदेश का ब्राह्म्ण जो वोट बैंक में 18 फीसदी की हैसियत रखता है उसकी जरूरत पड़ेगी।
चुनाव के समय ब्राह्मणों की याद आना केवल अवसरवादिता है और प्रदेश का ब्राह्मण इस बात अच्छी तरह जान रहा है कि यह अवसरवादी लोग अपने वोट बैंक को भुनाने आए है और इनमें ब्राह्मण हित नहीं है केवल दिखावा मात्र है।     

राजेंद्र नाथ त्रिपाठी मायावती के ब्राह्मण सम्मेलन पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि मायावती और उनके सिपाहसालार सतीश चंद्र मिश्रा जो आज ब्राह्मणों के नेता बनकर जा रहे है वह पिछले साढ़े चार साल में जब ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहा था तब कहां थे। 

वहीं विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों की रणनीति पर कहते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण समाज लामबंद होकर अपनी शर्तों के आधार पर मतदान करेगा। वह कहते हैं कि भाजपा को छोड़कर जो भी दल ब्राह्मण समाज की शर्तों को मनेगा ब्राह्मण समाज एकजुट होकर उसको वोट देगा। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख