पांच देशों का शक्तिशाली संगठन ब्रिक्स

Webdunia
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016 (18:16 IST)
ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इस संगठन के सदस्य देश हैं। यह एक ऐसा संघ है जिसके देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं से जुड़े हैं। रूस को छोडकर ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नवऔद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। इसके सदस्य राष्ट्र, क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
2013 तक पांच ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये देश संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में 4 खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 15 खरब अमेरिकी डॉलर का है। वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करता है।
 
प्रारंभ में चार ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) के विदेश मंत्री सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क शहर में मिले और उच्च स्तरीय बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की। 16मई 2008 को एक पूर्ण पैमाने की राजनयिक बैठक को येकतेरिनबर्ग, रूस में आयोजित किया गया था। शिखर सम्मेलन का मुख्य मुद्दा वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार और वित्तीय संस्थानों में सुधार का रहा है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा में एक प्रभावी आवाज हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय एजेंडा तैयार करने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना चाहिए।  ब्रिक्स देशों के नेताओं की एक बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि 'ब्रिक्स के तौर पर हम अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा में एक प्रभावी आवाज हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को आकार देना हम सबकी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के नेताओं को अक्टूबर में गोआ में होने वाले ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।
 
ब्रिक्स में दुनिया की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। दुनिया की 43 प्रतिशत आबादी इन देशों में बसती है। दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान 37 प्रतिशत है। दुनिया के व्यापार में इसकी भागीदारी 17 प्रतिशत है। भारत ने गोवा में होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्नीकल एंड इकोनोमिक को-ऑपरेशन) देशों को भी आमंत्रित किया है। इनमें भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं।
 
रूस से होगी भारत की बड़ी डील : इस सम्मेलन में शामिल होने आ रहे भारत और रूस के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इनमें सबसे बड़ी डील S-400 को लेकर होगी। S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। जानकार सूत्रों के मताबिक यह डील करीब 39 हजार करोड़ रुपए की होगी। इस दौरान एस-400 ट्रंफ एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति पर एक समझौता किया जाएगा और कुछ अन्य दस्तावेजों पर भी दस्तखत किए जाएंगे। 
 
क्या है एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम? : एस-400 ट्रंफ एक ऐसा एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसके जरिए अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है। अगर भारत समझौते पर हस्ताक्षर करता है तो यह चीन के बाद इस मिसाइल प्रणाली का दूसरा ग्राहक होगा। चीन ने पिछले साल तीन अरब डॉलर का करार किया था। इससे पहले एस-400 सिर्फ रूस के रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है।
 
'मेक इन इंडिया' के तहत होंगे और समझौते : रूस और भारत के बीच प्रोजेक्ट 11356 के तहत युद्धपोत और कामोव का-226 टी हेलि‍कॉप्टर के उत्पादन पर समझौते होंगे। यह समझौता 'मेक इन इंडिया' तहत किया जाएगा। 
 
साथ अपनी बातचीत के बाद पुतिन और मोदी एक संयुक्त बयान जारी करेंगे, जिसमें कई इंटरनेशनल और क्षेत्रीय मुद्दों को सुलझाने की दिशा में बात होगी। उन्होंने बताया कि रूस और भारत कुल मिलाकर करीब 18 करार पर दस्तखत कर सकते हैं।
 
रूस की एजेंसी ने पुतिन के सहयोगी यूरी उशकोव के हवाले से जानकारी दी है कि भारत और रूस की मीटिंग के दौरान एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 'ट्रायम्फ' की आपूर्ति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। हालांकि इसकी डिलीवरी के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
 
मोदी-पुतिन की मुलाकात का फोकस द्विपक्षीय समझौतों, खासतौर पर व्यापार और अर्थव्यवस्था पर होगा। पहले एस-400 पहले केवल रूसी रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था लेकिन बाद में  चीन ने इसे खरीदा। यह एस-300 से ज्यादा एडवांस्ड टेक्‍नोलॉजी है। अलमाज-आंते ने इसका प्रोडक्शन किया है और रूस में 2007 से यह उपलब्ध है।
 
सम्मेलन से अलग मोदी की द्‍विपक्षीय मुलाकातें : सम्मेलन से अलग मोदी की 10 द्विपक्ष‍ीय मुलाकातें गोआ में 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन से अलग भी पीएम मोदी 10 द्विपक्षीय मुलाकातें करेंगे। इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक वार्षिक बैठक भी शामिल है। इनमें व्लादिमीर पुतिन के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मोदी मुलाकात करेंगे।
 
मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति मिचेल टेमर से मुलाकात करेंगे। मोदी दक्षिण अफ्रीका, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका के नेताओं से भी मिलेंगे। म्यांमार की विदेशमंत्री आंग सान सू की भी मोदी से मिलेंगी।
 
रूस के साथ मिलकर एचएएल की हेलिकॉप्टर डील : मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट का असर अब प्रतिरक्षा क्षेत्र में भी दिखेगा। गोआ में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस और भारत के बीच 200 कामोव 226टी हेलिकॉप्टर के घरेलू उत्पादन की डील हो सकती है।
 
सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड अब रूसी कंपनी रसियन हेलिकॉप्टर्स और रोस्टेक कॉरपोरेशन के साथ मिलकर सैन्य हेलिकॉप्टर का निर्माण करेगी। रशियन हेलिकॉप्टर और एचएएल के ज्वाइंट वेंचर में बनने वाले कामोव हेलिकॉप्टर सैन्य हेलिकॉप्टर चीता और चेतक की जगह लेंगे। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) रूस के साथ मिलकर 200 सैन्य हेलिकॉप्टर बनाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस संयुक्त उपक्रम में भारतीय सरकारी कंपनी एचएएल की हिस्सेदारी 50.5 फीसदी और रूस का 49.5 फीसदी हिस्सा होगा। रूस का हिस्सा दो भागों में बंटा है, जिसमें 7 फीसदी रोस्टेक कॉरपोरेशन और बाकी का 42.5 फीसदी हिस्सा रशियन हेलिकॉप्टर्स का होगा।
 
कामोव 226 टी दो इंजन वाला लाइट वेट मल्टी रोल चॉपर है। इसमें नेविगेशन सिस्टम लगा हुआ है। इसका इस्तेमाल खराब मौसम और पहाड़ी इलाकों में भी किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल इलाके का हवाई सर्वेक्षण करने के लिए किया जाता है। इस हेलिकॉप्टर में पायलट्स के अलावा 7 पैरा ट्रूपर्स सवार हो सकते हैं।
 
'मेक इन इंडिया' स्कीम को कामयाबी : रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन के सीईओ सर्गेई कीमेजॉव ने कहा है कि यह डील भारतीय सहयोगियों के साथ हमारे मजबूत संबंधों का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यह पहला  रूस-इंडिया का हाइटेक प्रोजेक्ट है, जिसका क्रियान्वयन ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के तहत भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। रूस-इंडिया ज्वाइंट वेंचर में रूस की तरफ से होल्डिंग्स ऑफ रोस्टेक-जेएससी रोसोबोरॉनएक्सपोर्ट-रशियन हेलीकॉप्टर्स और भारत की तरफ से एचएएल (हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) शामिल हैं। 
 
सम्मेलन की सुरक्षा- व्यवस्था : ब्रिक्स सम्मेलन में आने वाले महत्वपूर्ण मेहमानों की सुरक्षा को लेकर भी व्यापक इंतजाम किए गए है। सम्मेलन की सुरक्षा को इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को सौंपी गई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने इस बात की आशंका जताई है कि गोआ में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकी हमला हो सकता है। यह कहा गया है कि पीओके में घुसकर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाए आतंकी बदला लेने के लिए ऐसी साजिश रच सकते हैं। लिहाजा, गृह मंत्रालय ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के डॉग स्क्वायड K9 को ब्रिक्स सम्मेलन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है।
 
के 9 के हवाले वीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा : ब्रिक्स सम्मेलन में विश्व के दिग्गज नेताओं के शामिल होने के चलते खुफिया एजेंसियां सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। के 9 डॉग स्क्वायड ब्रिक्स सम्मेलन के प्रमुख स्थलों और इसमें शामिल होने आ रहे नेताओं के रुकने की जगहों की सुरक्षा करेगा। इस डॉग स्क्वॉयड को विस्फोटकों का पता लगाने में महारथ हासिल है। इस स्क्वॉयड में लैब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन मैलिनियंस जैसी बेहतरीन ब्रीड शामिल हैं। यह हमलावरों का पता लगाकर कुछ सेकेंड के भीतर ही टारगेट को काबू में कर लेते हैं।  यह 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। 
 
यह एक मिनट में आरडीएक्स, पोटेशियम मिक्सचर और आईईडी का पता लगा सकते हैं। विदित हो कि K9 डॉग ऑफीसर्स को सैलरी के अलावा प्रमोशन भी मिलता है। खुफिया एजेंसियों की सूचना है पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सीमा में घुसपैठ कर चुके हैं और ये महाराष्ट्र में कहीं छिपे हुए हैं।
 
ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में भारत ने बिम्सटेक समूह के देशों के नेताओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया है, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाइलैंड शामिल हैं। इस सम्मेलन में नेपाल के पीएम प्रचंड, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन जैसे बड़े  नेता शामिल हो सकते हैं।
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