नई दिल्ली। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने सोमवार को कहा कि बालाकोट हवाई हमलों में तकनीक भारत के पक्ष में थी और यदि समय पर राफेल लड़ाकू विमान मिल जाते तो परिणाम देश के और भी पक्ष में होते। वे भविष्य की एयरोस्पेस शक्ति और प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बालाकोट अभियान में हमारे पास प्रौद्योगिकी थी और हम बड़ी सटीकता के साथ हथियारों का इस्तेमाल कर सके। बाद में हम बेहतर हुए हैं, क्योंकि हमने अपने मिग-21, बिसॉन और मिराज-2000 विमानों को उन्नत बनाया था। धनोआ ने कहा कि यदि हमने समय पर राफेल विमान को शामिल कर लिया होता तो परिणाम हमारे पक्ष में और भी हो जाते।
गत 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर हवाई हमला किया था। पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए।
धनोआ ने कहा कि राफेल और एस-400 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को शामिल किए जाने के प्रस्ताव के तहत अगले 2 से 4 वर्ष में फिर से तकनीकी संतुलन हमारे पक्ष में आ जाएगा, जैसा 2002 में 'ऑपरेशन पराक्रम' के दौरान हुआ था।
आईएएफ के दिवंगत मार्शल अर्जन सिंह की जन्म शताब्दी के मौके पर '2040 के दशक में एयरोस्पेस पॉवर : प्रौद्योगिकी का प्रभाव' विषय पर संगोष्ठी यहां सुब्रतो पार्क में आयोजित की गई थी। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यह कार्यक्रम भारतीय वायुसेना मार्शल अर्जन सिंह को एक श्रद्धांजलि है।