बदला-बदला होगा 2017-18 का आम बजट

Webdunia
रविवार, 11 दिसंबर 2016 (19:57 IST)
नई दिल्ली। अगले वित्त वर्ष के आम बजट के स्वरूप में भारी बदल किया जा रहा है जिसमें रेल बजट को समाहित करने के अलावा योजनागत व्यय और गैर-योजनागत व्यय का एकीकरण किया जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली प्राक्कलन समिति को आम बजट में बुनियादी परिवर्तन के बारे में वित्त मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोट में कहा गया है कि 'एक रुपए के विस्तृत विवरण', 'बजट एक नजर' और 'रुपया कहां से आया, कहां गया' के ब्योरे में भी बदलाव किया जाएगा। 
 
समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में रेल बजट का आम बजट में समाहित करने का इस आधार पर अनुमोदन किया है कि रेलवे की नाजुक हालत तथा राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक निर्माण में उसके महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर वित्त मंत्रालय उसे पर्याप्त बजटीय सहायता प्रदान करेगा तथा उसकी वित्तीय एवं संचालन स्वायत्तता बरकरार रहेगी। इसके साथ ही रेलवे को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाइनों के संचालन पर होने वाली हानि की भरपाई भी मिलती रहेगी। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम बजट में समाहित करने के बावजूद रेल बजट की तरह ही रेलवे के कामकाज और वित्तीय मामलों पर पर्याप्त समावधि चर्चा होती रहनी चाहिए ताकि सदस्यों को रेलवे की अनुदान मांगों पर विस्तृत चर्चा करने का मौका मिले।
 
उल्लेखनीय है कि रेल बजट के अलग रहने पर उससे जुड़ी 16 अनुदान मांगें रहती थीं लेकिन आम बजट में समाहित होने से ये सभी अनुदान मांगें मिलाकर सिर्फ एक अनुदान मांग रह जाएगी। समिति के 12वें प्रतिवेदन के आधार पर वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के आम बजट में अनुदान मांगों की संख्या 109 से घटाकर 98 कर चुकी है जिनमें रेलवे की 16 अनुदान मांगें शामिल नहीं थीं। 
 
समिति ने कहा है कि वित्त मंत्रालय संविधान के अनुच्छेद 150 के अनुरूप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुमोदन के बाद अनुदान मांगों की संख्या में बदलाव कर सकता है।
 
समिति ने योजनागत व्यय और गैर-योजनागत व्यय के विलय का उल्लेख करते हुए कहा है कि इससे वित्त मंत्रालय के पास एकल वित्तीय नियंत्रण रहने से संसाधनों के आवंटन में और अधिक दक्षता आएगी तथा कठोर वित्तीय नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सकेगा। 
 
हालांकि समिति ने कहा कि विकासात्मक कार्यों के लिए संसाधन आवंटन के मामले में नीति आयोग की विशेषज्ञ सलाह को पूरा महत्व दिया जाना चाहिए और उस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए ताकि मंत्रालय अत्यधिक वित्तीय शक्तियां होने के बावजूद संसाधनों का और विवेकपूर्ण आवंटन कर सके।
 
उसने कहा कि राजस्व और पूंजीगत व्यय के वर्गीकरण को विश्वसनीय और तर्कपूर्ण सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए जिससे पारदर्शिता और कार्यकुशलता को बढ़ावा मिल सके। समिति ने बजट में वर्गीकरण के निर्धारित नियमों (जीएफआर) में संशोधन करने की सलाह देते हुए कहा है कि योजना और गैरयोजना व्यय के एकीकरण के मद्देनजर राजस्व और पूंजीगत व्यय को सरल बनाने के लिए जीएफआर में बदलाव जरूरी हो गया है।
 
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अगले वित्त वर्ष का आम बजट तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। इसे परंपरा से हटकर फरवरी के अंतिम सप्ताह की बजाय करीब 1 महीने पहले पेश करने की योजना है। आजादी के बाद पहली बार आम बजट जनवरी अंत या फरवरी की शुरुआत में पेश किया जा सकता है ताकि उसमें की जाने वाली घोषणाओं को 1 अप्रैल से लागू किया जा सके।
 
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार रेल बजट को आम बजट में समाहित कर पेश किया जाएगा। वर्ष 1921 में रेलवे के व्यय को आम बजट से अलग करने का प्रस्ताव किया गया था और 20 फरवरी 1925 को वर्ष 1925-26 का पहला रेल बजट पेश किया गया था और तब से यही प्रक्रिया चली आ रही थी। (वार्ता)
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