चेन्नई। अन्नाद्रमुक ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु में उसकी सरकार कावेरी नदी का पर्याप्त जल पाने के लिए प्रयास जारी रखेगी जबकि विपक्षी द्रमुक ने उच्चतम न्यायालय में मामले को कथित रूप से उचित तरीके से नहीं रखने को लेकर सरकार की आलोचना की।
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार को शुक्रवार को आदेश दिया कि वह अपने अंतरराज्यीय बिलीगुंडलु बांध से 177.25 टीएमसीएफटी जल छोड़े, जो तमिलनाडु द्वारा मांगी गई जल की मात्रा से कम है। अन्नाद्रमुक की सांसद एम नवनीतकृष्णन ने कहा कि राज्य सरकार उचित मात्रा में कावेरी नदी का जल प्राप्त करने के अपने प्रयास जारी रखेगी।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार तमिलनाडु के लिए पर्याप्त जल पाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी। सांसद ने पहले कदम के तौर पर कावेरी प्रबंधन बोर्ड तत्काल गठित करने की केंद्र से अपील की। सरकार के सूत्रों ने यहां बताया कि अन्नाद्रमुक सरकार फैसले का अध्ययन कर रही है और मुख्यमंत्री इस संबंध में बयान देंगे।
द्रमुक के कार्यवाहक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने इस फैसले को स्तब्ध करने वाला बताया और कहा कि पर्याप्त जल हासिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय में पर्याप्त सबूत पेश नहीं करने पर पार्टी के. पलानीस्वामी सरकार की कड़ी निंदा करती है।
द्रमुक के वरिष्ठ नेता दुराय मुरूगन ने सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि उसने मामले में उचित रूप से अपना पक्ष नहीं रखा जिसके कारण राज्य को करीब 15 टीएमसीएफटी जल का नुकसान हुआ। माकपा राज्य सचिव जी रामाकृष्णन ने कहा कि इस फैसले से डेल्टा क्षेत्र के किसान प्रभावित होंगे, क्योंकि वे अपनी आवश्यकताओं के लिए कावेरी नदी के जल पर पूरी तरह आश्रित हैं।
भाजपा की राज्य अध्यक्ष तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि इसमें खुश होने वाली कोई बात नहीं है। उन्होंने मांग की कि हालांकि उच्चतम न्यायालय द्वारा तमिलनाडु के लिए आवंटित जल कम है लेकिन कम से कम इतनी मात्रा में जल तत्काल छोड़ा जाना चाहिए। (भाषा)