नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) की मौजूदगी में गुरुवार को असम (Assam) सरकार और 8 जनजातीय समूहों के प्रतिनिधियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए। शाह ने कहा कि यह समझौते ऐतिहासिक हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नार्थ ईस्ट को शांत और विकसित बनाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। असम सीमा को लेकर जो भी विवाद हैं, हम उन सभी को खत्म करना चाहते हैं। असम और नार्थ ईस्ट का विकास करके उसे भी देश के बाकी हिस्सों की तरह मजबूत करना है।
केंद्र सरकार ने असम के कुछ हिस्सों में स्थायी शांति लाने के लिए 8 आदिवासी आतंकवादी संगठनों के साथ गुरुवार को एक समझौते किया।
इन संगठनों के साथ समझौता : त्रिपक्षीय समझौते पर राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा तथा अन्य की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और आठ समूह शामिल हैं। इन आठ समूहों में ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिटेंट ऑफ असम, बिरसा कमांडो फोर्स, संथाल टाइगर फोर्स और आदिवासी पीपुल्स आर्मी शामिल हैं। समूहों के साथ 2012 से संघर्ष विराम समझौता चल रहा है।
शर्मा ने कहा कि मुझे विश्वास है कि समझौता होने से असम में शांति और सद्भाव के एक नए युग की शुरुआत होगी। परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा के कट्टरपंथी गुट और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन को छोड़कर, राज्य में सक्रिय अन्य सभी विद्रोही समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौता कर लिया है।
तिवा लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के सभी सदस्यों ने हथियारों और गोला-बारूद के साथ जनवरी में आत्मसमर्पण कर दिया था। कुकी ट्राइबल यूनियन के आतंकवादियों ने अगस्त में अपने हथियार डाल दिए थे। दिसंबर 2020 में, बोडो उग्रवादी समूह एनडीएफबी के सभी गुटों के लगभग 4,100 सदस्यों ने अधिकारियों के सामने अपने हथियार डाल दिए थे।