देहरादून। चारधाम यात्रा को लेकर पहले अफसरों ने राज्य की सीमा पर कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 टेस्ट अनिवार्य कर दिया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मुख्य सचिव एसएस संधू ने साफ कर दिया है कि यात्रा पर आने वालों की कोई जांच नहीं होगी और न ही उनसे कोई ऐसा प्रमाण मांगा जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी की इस पहल से कोविड जांच के लिए अब कोई चेकिंग नहीं होगी। कोरोना काल के बाद इस साल चारधाम यात्रा में भारी भीड़ आने की संभावना है। इसके लिए सरकार के स्तर पर तमाम तैयारियां की जा रही हैं। मुख्य सचिव संधू ने शुक्रवार देर सायं अफसरों के साथ एक बैठक की।
इसमें उन्होंने साफ कर दिया कि उत्तराखंड में आने वालों की राज्य की सीमा पर न तो कई कोविड जांच होगी और न ही उनसे इन बारे में कोई प्रमाण पत्र मांगा जाएगा। इस फैसले से देवभूमि में चारधाम यात्रा पर आने वाले लोगों को भारी राहत होगी।
मुख्य सचिव ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन के लिए निर्देश दिए कि अग्रिम आदेशों तक यात्रियों एवं श्रद्धालुओं को राज्य की सीमा पर होने वाली असुविधा एवं भीड़ से बचाव करने के दृष्टिगत कोविड-19 टेस्टिंग वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट एवं अन्य किसी भी प्रकार की चेकिंग की अनिवार्यता नहीं है।
सभी यात्री एवं श्रद्धालुओं को उत्तराखंड में चारधाम यात्रा हेतु पर्यटन विभाग द्वारा संचालित पोर्टल पर पूर्व की भांति पंजीकरण करना अनिवार्य है। शासन एवं प्रशासन स्तर पर स्थिति का निरन्तर अनुश्रवण किया जाए।मुख्य सचिव ने आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियों की समीक्षा भी की।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य, सचिव पर्यटन, सचिव धर्मस्व, सचिव परिवहन, पुलिस महानिदेशक मुख्य कार्यकारी अधिकारी बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति एवं अन्य अधिकारियों सहित यात्रा से जुड़े सभी जनपदों के जिलाधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर एवं सचिव, स्वास्थ्य राधिका झा द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया गया।
288885 श्रद्धालुओं ने कराया ऑनलाइन पंजीकरण : चारधाम सहित श्री हेमकुंड धाम की यात्रा के लिए अब तक 288885 श्रद्धालुओं ने अपना ऑनलाइन पंजीकरण करा लिया है। संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के तहत अब तक करीब 700 बसों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। बीते दो वर्ष तक कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 संक्रमण के कारण चारधाम यात्रा प्रभावित रही है। इस वर्ष अब तक सारी स्थिति अनुकूल है। जिसका असर चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के पंजीकरण की संख्या के रूप में दिख रहा है।
वर्ष 2013 की आपदा के बाद शासन की ओर से त्रिलोक सिक्योरिटी सिस्टम कंपनी को श्रद्धालुओं के फोटो मैट्रिक पंजीकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस वर्ष व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। एथिक्स इन्फोटेक कंपनी को यह काम सौंपा गया है। पंजीकरण व्यवस्था ऑनलाइन कर दी गई है, जिसमें यात्रा को लेकर अच्छे रुझान देखने को मिल रहे हैं।अक्षय तृतीया यानी तीन मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ धाम के कपाट छह मई और बद्रीनाथ धाम के कपाट आठ मई को खुल जाएंगे। श्री हेमकुंड धाम के कपाट 22 मई को खुल रहे हैं।
पंजीकरण करने वाली संस्था एथिक्स इन्फोटेक के माध्यम से इस वर्ष यात्रा के लिए शुक्रवार शाम तक 288885 श्रद्धालु अपना पंजीकरण करा चुके हैं। एथिक्स इन्फोटेक के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रेम अनंत ने बताया कि यमुनोत्री के लिए 47066, गंगोत्री के लिए 48806, केदारनाथ के लिए 105941, बद्रीनाथ के लिए 84708 और श्री हेमकुंड धाम के लिए 2362 श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण कराया है।
संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के माध्यम से देश के कई प्रांतों से श्रद्धालुओं और उनके समूह ने बसों की एडवांस बुकिंग कराई है। संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के प्रभारी नवीन तिवाड़ी ने बताया कि 26 मई तक चारधाम के लिए 525 बसों की एडवांस बुकिंग संयुक्त रोटेशन के माध्यम से हो चुकी है। दो धाम के लिए 180 बसों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि संयुक्त रोटेशन की ओर से इस वर्ष 1000 बसों का बेड़ा यात्रा के लिए उपलब्ध कराया गया है।परिवहन विभाग की ओर से 18 अप्रैल से लेकर अब तक 1200 वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड जारी कर दिए गए हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि शुक्रवार को कुल 205 ग्रीन कार्ड जारी किए गए। अब तक 464 बस, 3 मिनी बस, 235 मैक्सी और 498 टैक्सी वाहनों को ग्रीन कार्ड जारी कर दिए गए हैं। एक मई से अन्य प्रांतों के वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।
आग लगाने वालों के संबंध में साक्ष्य देने वालों को मिलेगा 10 हजार रुपए इनाम : वनाग्नि की रोकथाम एवं प्रभावी नियंत्रण हेतु जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जिला कार्यालय सभागार में संबंधित अधिकारियों के साथ जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक ली। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाएं न हों इसके लिए अधिकारी नियमित रूप से गश्त करते रहें और आग लगाने वालों की प्राथमिकी दर्ज कर नियमानुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि आग लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और आग लगाने वाले के संबंध में साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी सहित सूचित करने वाले को 10 हजार की धनराशि दी जाएगी तथा उसका नाम भी गुप्त रखा जाएगा।
जिलाधिकारी ने राजस्व प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं वन विभाग को निर्देशित किया कि आग लगने की घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही समन्वय बनाकर कार्य करें। सभी पटवारी कानूनगो को ऐसी घटनाओं की जानकारी तत्परता से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, ताकि शरारती तत्वों पर कार्रवाई की जा सके।
वहीं वन विभाग के अधिकारियों को कहा कि अपने स्तर से उस क्षेत्र के अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगे कि घटना क्यों हुई या कहां से शुरू हुई। अधिकारी की जवाबदेही तय करने के साथ डेली मॉनिटरिंग करने हेतु निर्देशित किया। कहा कि जिस क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं नहीं होतीं या वनाग्नि रोकने में जो लोग सहयोग करते हैं उन्हें भी पुरस्कृत करें।
डीएफओ बद्रीनाथ ने वन विभाग द्वारा की गई तैयारियों के बारे में जानकारी दी और बताया कि जिले में अब तक 110 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं जिसमें 130 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, लगभग 6 लाख की क्षति हो चुकी है। बैठक में बताया गया कि आपदा, फायर तथा वन विभाग की संयुक्त टीमें भी गांव-गांव जाकर लोगों को वनाग्नि के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।