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वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने वाले 21 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 13 बालकों एवं 8 बालिकाओं का हुआ चयन

हमें फॉलो करें वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने वाले 21 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 13 बालकों एवं 8 बालिकाओं का हुआ चयन
नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 जनवरी 2019 (17:44 IST)
नई दिल्ली। वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने तथा अपने प्राण जोखिम में डालकर औरों की जान बचाने वाले 21 बच्चों को इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2018 के लिए 13 बालकों एवं 8 बालिकाओं को चुना गया है। इनमें एक बालिका को मरणोपरांत पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। ये बहादुर बच्चे इसी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे।
 
 
पुरस्कारों की श्रेणी में इस बार भारत पुरस्कार के लिए की गुरुगा हिमा प्रिया (9) और सौम्यदीप जाना (14) को चुना गया है। प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार (मरणोपरांत) दिल्ली की निशीता नेगी (15) को दिया जाएगा। इसी प्रकार गुजरात के गोहिल जयराज सिंह (7) को संजय चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। राजस्थान की साढ़े 9 वर्षीय अनिका जैमिनी, मेघालय की कैमिलिया केथी खरबानार और ओडिशा के 14 वर्षीय सीतू मलिक को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा।
 
वीरता पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में झीली बाग, रंजीता माझी और विश्वजीत पुहान (सभी ओडिशा), सीडी कृष्णा नायक (कर्नाटक), के. मुस्कान और सीमा (दोनों हिमाचल प्रदेश), रितिक साहू, झगेन्द्र साहू और श्रीकांत गंजीर (सभी छत्तीसगढ़), कुंवर दिव्यांश सिंह (उत्तरप्रदेश), वाहेंगबम लमगांबा सिंह (मणिपुर), मंदीप कुमार पाठक (दिल्ली) तथा शिगिल के. और अश्विन सजीव (दोनों केरल) शामिल हैं। वीरता पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों को पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि प्रदान की जाएगी।
 
डॉ. शिवन ने कहा कि प्रक्षेपण यान को मानव मिशन के अनुरूप बनाने का काम भी इसी साल शुरू किया जाएगा। अभी जीएसएलवी पेलोड ले जाने के लिए बना है और मानव मिशन के लिए इसकी रेटिंग करनी होगी। मानव मिशन के हिसाब से जीएसएलवी का परीक्षण इस साल शुरू कर दिया जाएगा। यदि जरूरी हुआ तो उसमें कुछ बदलाव भी किए जाएंगे।
 
उन्होंने कहा कि ऑर्बिटल मॉड्यूल के परीक्षण का काम भी इस वर्ष शुरू होना है। यह क्रू-मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल को मिलाकर बनता है। क्रू-मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्री रहेंगे जबकि सर्विस मॉड्यूल में उनकी जरूरत के सामान और उपकरण आदि होंगे। 5 से 7 दिन तक पूरा ऑर्बिटल मॉड्यूल अंतरिक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इस मिशन की कुल लागत 10 हजार करोड़ रुपए से भी कम रहने का अनुमान है और यह दुनिया का सबसे सस्ता मानव-अंतरिक्ष मिशन होगा।
 
डॉ. शिवन ने एक सवाल के जवाब में बताया कि फरवरी 2021 और अगस्त 2021 में 2 डमी मिशनों में जानवरों की जगह इंसान जैसे रोबोट (ह्यूमेनॉइड) भेजे जाएंगे। अमेरिका और रूस ने जब अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दिया था, उस समय तकनीक इतनी विकसित नहीं थी और ह्यूमेनॉइड पर प्रयोग से मानव मिशन की तैयारी संभव नहीं थी, लेकिन आज यह संभव है और इसलिए इसरो ने भी पहले ह्यूमेनॉइड भेजने का निर्णय किया है।
 
डॉ. उमा महेश्वरन ने बताया कि ह्यूमेनॉइड मिशनों में शरीर का तापमान, धड़कन तथा वातावरण के दबाव से संबंधी प्रयोग किए जाएंगे तथा उनके असर के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। (वार्ता)

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