‘जिन्दगी ऐसी जिओ कि परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें’

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। कश्मीर वादी के पुलवामा जिले के त्राल में मंगलवार को शहीद हुए कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एमएन राय की जिंदगी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगी। श्रीनगर में बुधवार को उन्हें सेना के अफसरों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई और उनके शव को उनके गृहनगर के लिए रवाना कर दिया गया। करीब दो माह पहले कर्नल राय ने अपना व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट किया था। यह स्टेटस उनकी बहादुरी का प्रतीक है।
शहीद कर्नल राय का आखिरी व्हाट्सएप स्टेटस कुछ इस तरह से था- ‘इतने जुनून से अपनी जिंदगी का हर किरदार अदा करो कि अगर कभी पर्दा गिर भी जाए तो तालियों का शोर कम नहीं होना चाहिए।’ मंगलवार को उन्होंने अपनी बहादुरी से इस स्टेटस को सच साबित कर दिखाया। 39 वर्ष के कर्नल राय सेना में उच्च रैंक वाले अधिकारी थे।
 
सोमवार को उन्हें सरकार की ओर से युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। शहीद कर्नल राय के साथ पुलिस कांस्टेबल संजीवसिंह भी शहीद हुए हैं। संजीव ने करीब 48 दिनों पहले अपने व्हाट्स एप स्टेटस अपडेट किया था। इस स्टेटस में संजीव ने लिखा था- ‘दुश्मन को गोली मारना मेरी ड्यूटी है और मुझे इस बात का कोई भी अफसोस नहीं है। मुझे अफसोस होगा कि मैं लोगों की जान नहीं बचा सका, सैनिकों, अपने साथियों और मासूम लोगों की रक्षा नहीं कर सका।’
 
कर्नल राय को मंगलवार की सुबह इंटेलीजेंस इनपुट मिले थे कि त्राल के एक गांव में स्थित घर में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। वह क्विक रिएक्शन टीम के साथ जिसमें आठ से 12 जवान शामिल थे, इस जगह के लिए रवाना हो गए। सेना के सूत्रों की मानें तो कर्नल राय की टीम ने इस जगह पर पहुंचकर तलाशी लेना शुरू किया। घर में रहने वाले लोग, जिन पर संदेह है कि वह आतंकियों के रिश्तेदार हैं, ने उनसे अनुरोध किया कि वह तलाशी ने लें क्योंकि इससे लोग उन्हें गांव से अलग कर देंगे। कर्नल उन लोगों से आतंकियों के बारे में डिटेल्स ले रहे थे कि तभी हिज्ब के आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इसी गोलीबारी में वह बुरी तरह से घायल हो गए थे।
 
बहादुरी और करुणाका अद्‍भुत समन्वय थे कर्नल राय... पढ़ें अगले पेज पर....
 

सेना ने आज कर्नल एमएन राय को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में युवाओं तक पहुंच बनाने की दिशा में उनके प्रयासों को याद किया और कहा कि ऐसे बलिदान से शांति विरोधी तत्वों के खिलाफ लड़ाई में उसका संकल्प और मजबूत होगा। श्रीनगर स्थित चिनार कोर के जीओसी लेट जनरल सुब्रत साहा ने बादामी बाग कैंट में संवाददाताओं से कहा कि कर्नल राय विभिन्न अभियानों में हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व करते थे और ऐसा उन्होंने 2014 और 2015 में भी किया। उनमें बहादुरी के साथ करुणा का भाव था और त्राल के लोग उनकी कई पहल के मद्देनजर इससे भलीभांति परिचित हैं।
 
उन्होंने कहा कि बहादुर लोगों के सर्वोच्च बलिदान से कश्मीर में सुरक्षा के प्रति शत्रुतापूर्ण भाव रखने वाले सभी तत्वों के खिलाफ संघर्ष की हमारी प्रतिबद्धता मजबूत होगी। इस अवसर पर कर्नल राय के मित्रों एवं सहयोगियों ने उनके योगदान को याद किया। वह पिछले एक वर्ष में शहीद होने वाले वरिष्ठतम अधिकारियों में एक हैं।
 
कर्नल राय 42वीं आरआर के सीओ थे जबकि हेड कांस्टेबल संजीव कुमार सिंह एसओजी में जम्मू कश्मीर में कार्यरत थे और मंगलवार को पुलवामा जिले के त्राल में मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। इसमें दो आतंकी भी मारे गए। साहा ने कहा कि जब उस मकान को घेरा गया जिसमें आतंकी छिपे थे तब एक आतंकी के पिता और भाई ने राय से संपर्क करते हुए दावा किया कि आतंकी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। राय ने ऐसा करने का मौका भी दिया लेकिन एक आतंकी अंधाधुंध गोलीबारी करता मकान से निकला जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई।
 
अभियान के दौरान अधिकारी ने आम लोगों को नुकसान से बचाने के लिए तेजी से कार्रवाई की। साहा ने कहा कि राय ने युवाओं को जोड़ने के लिए कई पहल की थी जिसमें क्रिकेट और फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करना शामिल है। ले. जनरल साहा ने कहा कि स्पष्ट तौर पर उनके नेतृत्व में हम कह सकते हैं कि त्राल बदल रहा था। उन्हें सघन योजना के लिए प्रशासन में सभी से सराहना मिली और हमने देखा कि त्राल में किस तरह से मतदान हुआ।
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