भारत में हर शख्स की सुबह समोसे, कचोरी, जलेबी और पराठे जैसे नाश्ते से होती है। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपने नाश्तें में समोसे- कचोरी शामिल नहीं करते होंगे। लेकिन आमतौर पर ज्यादातर भारतीय शहरों में तकरीबन इसी तरह का नाश्ता किया जाता है, लेकिन भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसे और जलेबी के लिए स्वास्थ्य संबंधी वैधानिक चेतावनी जारी कर के इसे लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है।
दरअसल, यह वैधानिक चेतावनी भारत में बढ़ते मोटापे की बीमारी को लेकर जारी की गई है। यानी अब समोसे और जलेबी बनाने वालों को यह चेतावनी लिखना होगी कि रोजाना खाए जाने वाले नाश्ते में कितनी शक्कर और कितना तेल मिलाया गया है। इसी से अंदाजा लगाया जाएगा कि हेल्थ के लिए वो कितना सुरक्षित या नुकसानदायक है।
समोसे और जलेबी पर वैधानिक चेतावनी कहीं भारतीय नाश्ते के खिलाफ साजिश तो नहीं
एक साल में 21000 करोड़ समोसे और करीब 34 करोड़ किलो जलेबी खा जाते हैं भारतीय
फास्टफूड माफिया की साजिश तो नहीं : बता दें कि देश के कई शहरों और गांवों में समोसे कचोरी और जलेबी, पोहा जैसे नाश्तों का चलन बहुत ज्यादा है। हजारों दुकानों और रेस्त्राओं में इनका नाश्ता जी भर कर किया जाता है। इंदौर जैसे खाने पीने के लिए जाने जाने वाले शहर में तो शायद ही किसी की सुबह बगैर कचोरी, समोसे और जलेबी के होती होगी। वेबदुनिया ने इस बारे में आम नागरिकों से चर्चा कर जाना कि आखिर इन पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी करना कितना सही है और कितना गलत। कहीं ये फास्टफूड माफिया की भारतीय व्यंजनों के खिलाफ कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।
समोसा आउट, पित्जा इन : नागरिक खुमान सिंह ने बताया कि समोसे और कचोरी और जलेबी जिन्हें कई दशकों से भारतीय खा रहे हैं, आज अचानक से अनहेल्दी कैसे हो गए। उन्होंने बताया कि यह भारतीय खाद्य सामग्री के खिलाफ पूरी तरह से साजिश नजर आती है। फास्टफूड वाले चाहते हैं कि कचोरी समोसे बाजार में नहीं दिखेंगे तो लोग पित्जा का रुख करेंगे। वे कहते हैं कि फिर प्रधानमंत्री मोदी के पकोड़े तलकर रोजगार हासिल करने वाले बयान का क्या होगा।
भाषा, भूषा और भोजन पर आक्रमण : आध्यात्मिक जोशी ने बताया कि भारत के भोजन, भाषा और भूषा पर हमेशा से ही आक्रमण होता रहा है। इसमें कोई चौंकने वाली बात नहीं कि अब यह समोसे और जलेबी को लेकर किया जा रहा है। भाई बाजार में कितने ही पैकेज्ड फूड मिलते हैं, जो कई कई हफ्तों से रखे होते हैं। क्या उन्हें खाना स्वास्थ्यवर्धक है। समोसे जलेबी तो सुबह गर्मागर्म बनते हैं और कुछ ही घंटों में बिक जाते हैं। क्या ऐसा फास्टफूड के साथ होता है।
स्क्रीन पर लिखा आएगा समोसे हानिकारक है : गणेश कोठारी ने बताया कि कोई कितने ही वैधानिक चेतावनी लगा लें, इससे आम लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि शराब की बोतल पर और सिगरेट के पैकेट पर लिखा होता यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, क्या लोगों ने पीना बंद किया। अब देखना होगा कि अगर किसी फिल्म में हीरो समोसे खा रहा होगा तो क्या स्क्रीन पर यह डिस्क्लैमर आएगा कि समोसे खाना हानिकारक है।
कितने हजार करोड़ समोसे, कचोरी खा जाते हैं भारतीय?
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय एक साल में 21 हजार करोड़ समोसे, 34 करोड़ किलो जलेबी, 35 हजार करोड़ पराठे, 5 हजार 600 करोड़ प्लेट छोले भटूरे, 14 हजार करोड़ कचोरी
और 10 हजार करोड़ ब्रेड़े पकोड़े खा जाते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें?
21 हजार करोड़ समोसे
34 करोड़ किलो जलेबी
35 हजार करोड़ पराठे
5600 करोड़ प्लेट भटूरे
14 हजार करोड़ कचोरी
10 हजार करोड़ ब्रेड पकोड़े
क्या है स्वास्थ्य विशेषज्ञों का तर्क : स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा एक साइलेंट एपिडेमिक बन चुका है और 2050 तक की संख्या बढ़कर 44.9 करोड़ होने का अनुमान है। ऐसे में सरकार का यह कदम काफी सराहनीय है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे पर लगाम लगाने के लिए यह फैसला बेहद जरूरी है। विशेषज्ञ ने कहा कि जिस तरीके से सिगरेट और तंबाकू की बिक्री करने वाली दुकानों पर चेतावनी बोर्ड लगा रहता है, उसी तरह से समोसे जलेबी की बिक्री करने वाले वेंडरों को भी चेतावनी के साथ इसकी बिक्री करनी होगी।
चीनी और ट्रांस फैट अब नए 'तंबाकू' : टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स नागपुर ने इस आदेश की पुष्टि की है। जल्द ही वहां की कैंटीन और सार्वजनिक जगहों पर ये वॉर्निंग बोर्ड लग जाएंगे। कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के नागपुर चैप्टर के अध्यक्ष अमर अमाले ने कहा, "ये खाने की लेबलिंग को सिगरेट की चेतावनियों जितना गंभीर बनाने का पहला कदम है। चीनी और ट्रांस फैट अब नए 'तंबाकू' हैं। लोगों को हक है कि वो जानें कि वो क्या खा रहे हैं।"
क्या कहा स्वास्थ्य मंत्रालय ने : देश के तमाम सरकारी कैंटीन और रेस्टोरेंट में समोसे और जलेबी जैसे खाद्य पदार्थों पर अब स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी का बोर्ड लगाना जरूरी कर दिया गया है। भारत सरकार ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके तहत जहां भी समोसा या जलेबी बिकती हैं, वहां की दीवार पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी/हेल्थ वार्निंग लगाना अनिवार्य किया जा रहा है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी केंद्रीय संस्थानों को ऑयल एंड शुगर बोर्डस लगाने का आदेश दिया है। इन स्थानों पर रंग-बिरंगे पोस्टर बताएंगे कि रोजाना खाए जाने वाले नाश्ते में कितनी शक्कर और कितना तेल मिलाया गया है।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल