Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी) सीट शेयरिंग समझौते को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी-एसपी) अभी भी सीटों के बंटवारे के गणित में ही उलझी हुई है। इसी बीच, महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं ने हाईकमान को यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि वह उद्धव ठाकरे के आगे झुके नहीं।
ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है, हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले की ही बात है, जब स्थानीय कांग्रेस के नेताओं ने हाईकमान से कहा था कि हम अकेले ही चुनाव जीतने में सक्षम हैं, ऐसे में आम आदमी पार्टी से गठबंधन की आवश्यकता नहीं है। जबकि, राहुल गांधी की हरियाणा में आम आदमी पार्टी से गठबंधन की इच्छा थी। अन्तत: कांग्रेस और आप का गठबंधन नहीं हुआ और परिणाम सबके सामने था। जबकि, चुनाव से पहले तमान अनुमान और सर्वेक्षण कांग्रेस के पक्ष में ही जा रहे थे। भाजपा एंटी-इनकम्बेंसी के बावजूद हरियाणा में हैट्रिक लगाने में सफल रही और अपने बूते जीत के दावे करने वाले कांग्रेस नेताओं को चुनाव परिणाम के बाद सांप सूंघ गया।
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कांग्रेस का अति-आत्मविश्वास : महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं के बयानों देखकर लगता है कि कांग्रेस ने हरियाणा की हार से सबक नहीं लिया है। क्योंकि अभी भी कांग्रेस और शिवसेना-यूबीटी के बीच सीटों को लेकर तकरार जारी है। हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र में भी लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने के कारण स्थानीय कांग्रेस नेता 'अति-आत्मविश्वास' का शिकार हो गए हैं। यही स्थिति चुनाव से पहले हरियाणा में भी थी। वहां भी कांग्रेस ने 10 में 5 लोकसभा सीटें जीत ली थीं।
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हालांकि महाराष्ट्र में वोट प्रतिशत में ज्यादा अंतर नहीं है। लोकसभा में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 17 फीसदी रहा था, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 16.0 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस ने 13 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा 26.4 फीसदी सीटें जीतने के बावजूद 9 सीटें ही जीत पाई। वहीं, यदि 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो अविभाजित शिवसेना ने 56 (भाजपा के साथ गठबंधन) सीटें जीती थीं, जबकि एनसीपी ने 54 एवं कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 105 सीटें जीतकर भाजपा यहां सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
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क्या कहते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष : हालांकि महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि गठबंधन में दिक्कतें आती हैं, लेकिन हम बैठक में सभी मतभेदों को सुलझा लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि महायुति की तुलना में एमवीए के सहयोगी अधिक एकजुट हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला ने कहा था कि हमारे बीच गंभीर मतभेद नहीं है, हम एकजुट हैं सीटों को लेकर बातचीत चल रही है। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने विदर्भ इलाके से 12 सीटों की मांग की है। उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी भी दी है कि सीट बंटवारे पर बातचीत को 'ब्रेकिंग पॉइंट' तक नहीं बढ़ाना चाहिए।
हाल ही में एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने भी कहा था कि 200 सीटों पर समझौता हो चुका है। कुछ सीटों पर ही मतभेद की स्थिति है। वैसे अटकलें हैं कि महाविकास अघाड़ी सीटों को लेकर विवाद को सुलझाने में सफल होगा और जल्दी ही इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। लेकिन, यदि यह विवाद बढ़ता है तो विपक्षी गठबंधन के लिए 'शुभ' नहीं होगा। कांग्रेस को यदि झुकना भी पड़े तो अन्तत: फायदा उसका ही होगा। क्योंकि हरियाणा की हार से कांग्रेस अभी भी उबर नहीं पाई होगी।